परिवार मे जन्मा एक पुण्यात्मा भी बन जाता तारन हार
Kannauj News - गुगरापुर में श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन व्यास हरिओम दीक्षित ने बताया कि जीवन में यदि साध्वी और धर्म कर्म में निष्ठा रखने वाली अर्धांगिनी मिले तो जीवन सुखमय हो जाता है। कथा में आत्मदेव और उसकी पत्नी...
गुगरापुर,कन्नौज। बुधवार को श्री भोले बाबा मंदिर गोसाईंदासपुर मे श्रीमद भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को व्यास हरिओम दीक्षित ने बताया कि जीवन मे यदि साध्वी और धर्म कर्म मे निष्ठा रखने बाली अर्धांगिनी मिल जाती तो जीवन सुखमय हो जाता है। विपरीत आचरणों की मिल जाती तो पूरा जीवन दुखमय ही गुजरता है। सुपुत्र सुखदायी और कुपुत्र दुखदायी ही सिद्ध होता है। व्यास हरिओम दीक्षित ने बुधवार को प्रथम स्कंध की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि दक्षिण भारत मे एक आत्मदेव नामक ब्रह्म परायण और धर्म कर्म मे लिप्त रहने बाला ब्राह्मण था तो वहीं धुंधली नामक उसकी कर्कश स्वभाव वाली पत्नी थी। संतान न होने के कारण दुखित ब्राह्मण आत्महत्या तक करने तक को तत्पर हो गया। ब्राह्मण की मनोदशा समझ एक संत पुरुष द्वारा समझाए जाने के बाद भी विप्र का संतान से मोह भंग नहीं हुआ। संत ने आत्मदेव को एक फल देते हुए पत्नी को खिलाने हेतु कह पुत्र प्राप्त होने का आशीर्वाद दे दिया। आत्म देव की पत्नी ने अपने पति से छुपाकर वह फल गाय को खिला दिया और स्वयं ढोंग रच कर बहिन के तत्कालीन गर्भ को अपना बता स्वयं की देख भाल करने लगी। कालांतर मे गाय ने गाय के कान जैसे एक शिशु को जन्म दिया जब कि धुंधली ने अपनी बहिन द्वारा जन्मे बच्चे को अपना बता दिया। नामकरण के दौरान गाय के शिशु का नाम गोकर्ण और धुंधली के बच्चे का नाम धुंधकारी रखा गया। युवा होने पर धुंधकारी वैश्यागामी, व्यभिचारी,आतताई और उदंड बना। गोकरण के समझाने पर धुंधकारी से पीड़ित आत्मदेव तो हरिभजन हेतु चले गए वहीं धुंधकारी माता की मृत्यु का कारण बना। स्वयं की मृत्यु के उपरांत धुंधकारी प्रेत बना। गोकर्ण ने सूर्य भगवान की उपासना कर प्रेत मुक्ति का मार्ग खोज कर श्री मदभागवत सप्ताह का आयोजन करा कर भाई धुंधकारी सहित परिवार को उत्तम गति प्रदान कराई। कथा के दौरान परीक्षित विवेक चतुर्वेदी, अर्चना चतुर्वेदी, आलोक चतुर्वेदी, ब्लाक प्रमुख गुगरापुर संदीप चतुर्वेदी, विधान,शिवांक अथर्व सुधीर चतुर्वेदी, दिलीप चतुर्वेदी सहित श्रोता भक्त गण उपस्थित रहे।
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