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नहर में आया पानी, आठवें दिन धरना-प्रदर्शन समाप्त

सूखी पड़ी गुरसरांय हेड में पानी को लेकर चल रहा किसानों का धरना-प्रदर्शन आठवें दिन समाप्त हो गया। बीती देर रात नहर चालू होते ही किसानों के चेहरे उठे। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त की घोषणा की।...

नहर में आया पानी, आठवें दिन धरना-प्रदर्शन समाप्त
हिन्दुस्तान टीम,झांसीSat, 07 Nov 2020 11:01 PM
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सूखी पड़ी गुरसरांय हेड में पानी को लेकर चल रहा किसानों का धरना-प्रदर्शन आठवें दिन समाप्त हो गया। बीती देर रात नहर चालू होते ही किसानों के चेहरे उठे। वहीं, प्रदर्शनकारियों ने धरना समाप्त की घोषणा की। मौके पर पहुंचे विधायक, सिंचाई विभाग के अफसरों ने नहर को चालू रखने का आश्वासन दिया।

गुरसरांय हेड नहर को चालू कराने को लेकर गांधीवादी नेता सूरज माते बड़ी संख्या में किसानों के साथ शुक्रवार देर शाम तक धरने पर बैठे रहे। उन्होंने जिम्मेदारों को खरी-खरी सुनाई। वहीं, देर रात विधायक जवाहर लाल राजपूत, सिंचाई विभाग के अफसर धरनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को समझाने का प्रयास किया। लेकिन वह खेतों तक पानी पहुंचाने की जिद पर अड़े रहे। देर रात नहर को चालू किया गया। जिससे सभी के चेहरे खिल उठे। सूरज माते ने कहा कि इससे हजारों-हजार एकड़ जमीन को पानी मिल सकेगा। किसान पलेवा कर रबी फसल की बुआई कर सकेगा। कहा, नहर चालू रहे। अगर पानी रोका गया तो फिर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया जाएगा।

नहर चालू कराने के लिए काफी प्रयास किया गया: विधायक

विधायक जवाहर लाल राजपूत ने कहा कि नहर चालू कराने के लिए काफी प्रयास किया गया है। जलशक्ति मंत्री महेन्द्र सिंह से भी बात की गई थी। वहीं, मंडलायुक्त झांसी और डीएम को अवगत कराया गया था। तब कहीं जाकर नहर चालू हो सकी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि अभी नहर चालू रहेगी। इसको लेकर सिंचाई विभाग के अफसरों को भी निर्देश दिए गए हैं।

नहर को फुल गेज से खोला गया है: अधिशासी अभियंता

सिंचाई के अधिशासी अभियंता ने बताया कि शेड्यूल के मुताबिक नजर चालू की गई है। इसी के अनुसार पानी दिया जाएगा। बताया कि नहर को फुल गेज से खोला गया है। ताकि अंतिम छोर तक पानी पहुंच सके। इसकी सफाई पहले ही करा ली गई थी। अगर किसी तरह की शिकायत आती है तो उसे भी हल किए जाने का प्रयास किया जाएगा। वहीं, दूसरी तरफ किसानों ने सिंचाई विभाग के अफसरों पर जानकारी न होने का आरोप लगाया है। बोले, यह लोग झांसी में निवास बनाए हैं। गुरसरांय में बैठते ही नहीं है। जिससे किसानों को दिक्कतें होती हैं।

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