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आदिवासियों की झोपड़ियों पर फिर मंडराया खतरा

गांव बगरौनी से पलायन कर कुछ साल पहले निमौनी तिगैला हाइवे किनारे आकर बसे आदिवासियों की झोंपड़ियों पर फिर खतरा मंडराने लगा...

आदिवासियों की झोपड़ियों पर फिर मंडराया खतरा
हिन्दुस्तान टीम,झांसीSat, 10 Nov 2018 09:39 PM
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गांव बगरौनी से पलायन कर कुछ साल पहले निमौनी तिगैला हाइवे किनारे आकर बसे आदिवासियों की झोंपड़ियों पर फिर खतरा मंडराने लगा है।

प्रशासन ने जमीन खाली करने की चेतावनी दी है। जिससे आदिवासियों के चेहरे मुरझा गए हैं। वह जमीन नहीं छोड़ना चाहते। वहीं उपजिलाधिकारी ने आदिवासियों को गांव बगरौनी में ही बसने की सलाह दी है। शासन से मिलने सुविधाओं का भरोसा दिलाया है।

कुछ साल पहले गांव बगरौनी में झोंपड़ी बनाकर कुछ आदिवासी परिवार रहते थे। लोगों का आरोप है कि गांव बगरौनी में आए दिन धमकियां मिल रही थी। जगह खाली किए जाने को लेकर दवाब बनाया रहा था। जिससे भयभीत होकर करीब दो साल पहले आदिवासी परिवार निमौनी-तिगैला गांव में हाइवे किनारे खाली पड़ी आदिवासी सहरिया खसरा नंबर 268 में आकर बस गए। लेकिन, अब हाइवे का काम चालू हो गया है। जिससे आदिवासियों की झोंपड़ी पर खतरा मंडराने लगा है। सूत्रों की मानें तो इसकी सूचना तहसील प्रशासन को दी गयी। पिछले दिनों मौके पर पहुंचे उपजिलाधिकारी ने हाइवे किनारे जमीन का निरीक्षण किया। उन्होंने जमीन पर से कब्जा हटाए जाने के निर्देश दिए है। जिस पर आदिवासी परिवार के लोग बेहद नाराज है। उनका कहना है कि वह फिर से गांव बगरौनी में नहीं जाना चाहते हैं। वहां न तो काम है और न ही कोई सुविधाएं। बताया, वह लोग यहीं रहना चाहते हैं। यहां कुछ रोजगार मिल जाता है। उन्होंने शासन से न्याय की गुहार लगाई है।

बोले एसडीएम

इस संबंध में उपजिलाधिकारी सुरेंद्र सिंह से बात की गई। उन्होंने बताया, जिस जमीन पर आदिवासी समुदाय के लोग कब्जा किए हुए हैं, वह हरिजन आबादी की जमीन है। बोले, यह लोग गांव बगरौनी के निवासी हैं। उन्होंने कहा, आदिवासी समुदाय के लोग गांव बगरौनी में ही जाकर रहें। शासन से जो भी सुविधाएं होंगी, वह समुदाय के लोगों को मुहैया करा दी जाएंगी। इनके रहने की भी उचित व्यवस्था की जाएगी और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ भी दिया जाएगा।

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