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पापा नहीं रहे, फण्ड का पैसा भी नहीं मिला

साहब, ..बिजली विभाग में तैनात पापा की मौत हो गई थी। ..मां भी नहीं हैं। एक साल से बीमा की धनराशि मिली, फण्ड और ग्रेच्युटी के पैसे के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पेट भरने के लिए घरों में काम करना पड़ता है।...

पापा नहीं रहे, फण्ड का पैसा भी नहीं मिला
हिन्दुस्तान टीम,झांसीWed, 21 Mar 2018 10:00 PM
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साहब, ..बिजली विभाग में तैनात पापा की मौत हो गई थी। ..मां भी नहीं हैं। एक साल से बीमा की धनराशि मिली, फण्ड और ग्रेच्युटी के पैसे के लिए चक्कर लगा रहे हैं। पेट भरने के लिए घरों में काम करना पड़ता है। तब कहीं शाम को रोटी मिलती है। यह दर्द नाबालिग दो बहनें और एक का भाई है। जो माता-पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित धनराशि पाने के लिए भटक रहे हैं।

मऊरानीपुर निवासी रोशनी (17), सनी (14) और पलक (11) ने कल (बुधवार) तहसील दिवस में एसडीएम को शिकायती पत्र दिया। जिसमें बताया, पिता भरत बहादुर बिजली विभाग में थे। पिछले साल उनकी मौत हो गई थी। मां की भी मौत हो चुकी है। माता-पिता का सिर से साया उठ जाने के बाद कोई नहीं है। पढ़ाई अब नहीं होती। तीनों बहन-भाई मिलकर घरों में काम करते हैं। किसी तरह गुजर-बसर कर रहे हैं। बताया, पिता का फण्ड, बीमा, ग्रेच्युटी का पैसा अब भी विभाग में अटका है। एक साल से चक्कर लगा रहे हैं। कई बार अफसरों से मिले। बात की। अपनी व्यथा सुनाई। आश्वासन तो मिला। लेकिन, पैसा नहीं मिल सका। बड़ी बेटी रोशनी ने बताया कि वह घर परिवार देखती है। किसी तरह घरों में काम कर गुजर-बसर करते हैं। उन्होंने उपजिलाधिकारी से फण्ड, ग्रेच्युटी, बीमा का पैसा दिलाए जाने की मांग की है।

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