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ग्रामीण बैंकों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान

निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को जिले भर की ग्रामीण बैंकों में पूर्णत: तालाबन्दी रही। एक दिन की हड़ताल से बैंकों को चार सौ करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में बैंक...

ग्रामीण बैंकों की हड़ताल से करोड़ों का नुकसान
हिन्दुस्तान टीम,जौनपुरSat, 01 Jul 2017 12:07 AM
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निजीकरण के विरोध में शुक्रवार को जिले भर की ग्रामीण बैंकों में पूर्णत: तालाबन्दी रही। एक दिन की हड़ताल से बैंकों को चार सौ करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। अपनी विभिन्न मांगों के समर्थन में बैंक अधिकारियों, कर्मचारियों ने सिविल लाइंस स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन करके धरना दिया। आल इंडिया रीजनल रूरल बैंक इम्प्लाइज एसोसिएशन के आह्वान पर काशी गोमती सम्युत्त ग्रामीण बैंक की 84 शाखाओं में ताले नहीं खुले। संगठन के केन्द्रीय पार्षद शकील अहमद व नरेन्द्र कुमार मिश्र की अगुवाई में बैंक कर्मियों ने नगर में जुलूस निकाल कर प्रदर्शन करते हुए सरकार के खिलाफ जबरदस्त नारेबाजी की। बाद में क्षेत्रीय कार्यालय के पास आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ यह प्रदर्शन जोरदार तरीके से जारी रहेगा। सरकार की दोहरी नीति के विरुद्ध देशभर के ग्रामीण बैंकों ने इस हड़ताल को अपना समर्थन दिया है, कहा कि हक की खातिर बैंक कर्मी अब आरपार की लड़ाई लडे़ंगे, जरूरत पड़ी तो इस आन्दोलन को लंबे समय तक चलाया जाएगा। अश्वनी श्रीवास्तव, पीके सिंह, अशफाक अहमद ने कहा कि सरकार की उदासीनता से रिटायरमेन्ट के बाद करीब 20 हजार बैंक कर्मी भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं लेकिन अभी तक कोई पहल नहीं हुई। एसएन सिंह,एमएम जायसवाल, डा. बीबी सिंह, रत्नाकर दुबे, श्याम नारायन सिंह, मशीरूल हसन ने भी केन्द्र सरकार की नई नीतियों के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया। मांग किया कि सरकार अपनी नीति में संशोधन करे। इस मौके पर केजी गुप्त, विनोद सिंह, सुरेश सिंह, गुरुबचन सिंह, अरविन्द सिंह, अरुण श्रीवास्तव, अरशद हुसैन, आरती सिंह, इम्तियाज, जगदीश कुमार अन्य उपस्थित रहे। सभा का संचालन शकील अहमद ने किया।

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