Hindi NewsUP NewsHigh Court dismissed petition alleging that female teacher not entitled to gratuity due to her service more than 60 year
60 वर्ष से अधिक सेवा के कारण अध्यापिका को ग्रेच्युटी का अधिकार नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

60 वर्ष से अधिक सेवा के कारण अध्यापिका को ग्रेच्युटी का अधिकार नहीं, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

संक्षेप: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 60 वर्ष नौ माह 11 दिन की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली सीनियर बेसिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका को ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं माना। साथ ही मां की ग्रेच्युटी की मांग में दाखिल बेटे की याचिका खारिज कर दी।

Thu, 25 Sep 2025 09:35 PMDinesh Rathour हिन्दुस्तान, प्रयागराज, विधि संवाददाता
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 60 वर्ष नौ माह 11 दिन की सेवा के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने वाली सीनियर बेसिक स्कूल की प्रधानाध्यापिका को ग्रेच्युटी पाने का हकदार नहीं माना। साथ ही मां की ग्रेच्युटी की मांग में दाखिल बेटे की याचिका खारिज कर दी। याची की मां ने 60 वर्ष में सेवानिवृत्ति मांगी लेकिन शिक्षा सत्र का लाभ भी ले लिया। शासनादेश के अनुसार 60 वर्ष में सेवानिवृत्त अध्यापक ही ग्रेच्युटी के हकदार हैं। याची की मां ने 60 वर्ष से अधिक सेवा की इसलिए उसे ग्रेच्युटी नहीं दी जा सकती। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने मिर्जा इमरान बेग की याचिका को खारिज करते हुए दिया है।

याचिका में बेसिक शिक्षा अधिकारी एटा द्वारा याची की मां की बकाया ग्रेच्युटी भुगतान करने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई थी। याची का कहना था कि उसकी मां ने 60 वर्ष की आयु में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति की मांग की, जिसे स्वीकार करते हुए उसे सेवानिवृत्त कर दिया गया। इसके बाद याची की मां की मृत्यु हो गई। याची के पिता को ग्रेच्युटी व फेमिली पेंशन के अलावा सभी देयों का भुगतान कर दिया गया। बाद में याची के पिता की भी मृत्यु हो गई। इसके बाद याची की मृतक आश्रित कोटे में चतुर्थ श्रेणी पद पर नियुक्ति की गई। उसने मां की बकाया ग्रेच्युटी की मांग में याचिका दाखिल की।

कोर्ट ने बीएसए एटा को निर्णय लेने का आदेश दिया। बीएसए ने शासनादेश के आधार पर ग्रेच्युटी पाने का हकदार न पाते हुए अर्जी खारिज कर दी, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी। बीएसए के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाह का कहना था कि याची की मां की सेवा नियत अर्हता के अधीन नहीं थी इसलिए वह ग्रेच्युटी की हकदार नहीं हैं। उन्होंने 60 वर्ष से अधिक सेवा की है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया।

Dinesh Rathour

लेखक के बारे में

Dinesh Rathour
दिनेश राठौर लाइव हिन्दुस्तान की यूपी टीम में डिप्टी चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर हैं। कानपुर यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। डिजिटल और प्रिंट जर्नलिज्म में 13 साल से अधिक का अनुभव है। लंबे समय तक प्रिन्ट में डेस्क पर रहे हैं। यूपी के कानपुर, बरेली, मुरादाबाद और राजस्थान के सीकर जिले में पत्रकारिता कर चुके हैं। भारतीय राजनीति के साथ सोशल और अन्य बीट पर काम करने का अनुभव। इसके साथ ही वायरल वीडियो पर बेहतर काम करने की समझ है। और पढ़ें
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