मानदेय न मिलने से परेशान हैं कार्यकत्रियां
चार महीने से मानदेय मिलने का इंतजार कर रही आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को रोटी के लाले पड़े हुए हैं। काम के बोझ से परेशान कार्यकत्रियों को विभाग की उदासीनता हजम नही हो रही है। इससे उनमें नाराजगी व्याप्त...
चार महीने से मानदेय मिलने का इंतजार कर रही आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को रोटी के लाले पड़े हुए हैं। काम के बोझ से परेशान कार्यकत्रियों को विभाग की उदासीनता हजम नही हो रही है। इससे उनमें नाराजगी व्याप्त है।
विकास खण्ड के अंतर्गत लगभग दो सैकड़ा कार्यकत्रियां व 150 से अधिक सहायिकाएं बाल विकास परियोजना के तहत आंगनवाड़ी केंद्रों पर तीन से छह वर्ष तक बच्चों की देखभाल, गर्भवती, धात्री महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ पहुँचाने का काम करती हैं। इसके अलावा बीएलओ, टीकाकरण,पल्स पोलियो के साथ-साथ गृह भ्रमण कर नवजात शिशुओं,बालक बालिकाओं,महिला, पुरुषों की रिपोर्ट विभाग से लेकर अन्य विभागों तक पहुँचाने का कार्य कर रही हैं। सुविधा के बेहतरी के लिए दो दर्जन से अधिक मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है। मिनी आंगनवाड़ी कार्यकत्री को मानदेय के रूप में प्रति माह 3000, आंगनवाड़ी कार्यकत्री को 4000 व सहायिकाओं को 2000 रुपए देय है।
क्षेत्र की आंगनवाड़ी कार्यकत्री व सहायिका संतकुमारी, विनीत देवी, मंजू, रामसिया, ऊषा, माया देवी, सपना देवी, मालती देवी सरला देवी, अर्चना देवी आदि ने बताया कि विभाग की ओर से जो उन्हें जम्मिेदारी दी जाती है उसको वह लोग बखूबी निभाती भी हैं। पर उन्हें अक्टूबर 2018 से अब तक मेहनताना नही मिला है। जिसके कारण दो वक्त की रोटी के लाले पड़े हुए हैं। उन्हें विभाग की ओर से एक-एक मोबाइल दिया गया है। उसी मोबाइल के जरिए बच्चों ,महिला, पुरुषों का सर्वे कर रिपोर्ट भेजनी होती है। ग्रामीम क्षेत्र में मोबाइल चार्ज करने की दक्कित बनी रहती है। जिसके कारण कार्य करने में कठिनाई महसूस हो रही है।