शौचालय निर्माण का पैसा सीधे लाभार्थियों के खातों में
स्वच्छ भारत मिशन के तहत लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए अब ग्राम पंचायतों की बजाए पंचायत महकमा सीधे धनराशि उपलब्ध करवाएगा। शासन से मिले निर्देशों के तहत ग्राम पंचायतें केवल लाभार्थियों के बैंक...
स्वच्छ भारत मिशन के तहत लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए अब ग्राम पंचायतों की बजाए पंचायत महकमा सीधे धनराशि उपलब्ध करवाएगा। शासन से मिले निर्देशों के तहत ग्राम पंचायतें केवल लाभार्थियों के बैंक खाते व आधार नंबर उपलब्ध करवाएगा। बैंक एकाउंट सत्यापित होने के पश्चात सीडीओ व डीपीआरओ लाभार्थियों के बैंक खाते में धनराशि का ट्रांसफर करेंगी।
एनओएलबी के तहत 66917 लाभार्थियों को शौचालय निर्माण के लिए छह-छह हजार की एक-किश्त का आवंटन उनके बैंक खातों में किया जा चुका है। शौचालय निर्माण में अनियमितताओं के सामने आने व ग्राम पंचायतों की संलिप्तता के बाद अब 40 करोड़15 लाख दो हजार रुपए की धनराशि लाभार्थियों को सीधे दिए जाने के निर्देश दिए गए हैं। शासन की ओर से दिए गए निर्देशों के तहत अब से शौचालय निर्माण के लिए दी जाने वाली धनराशि ग्राम निधि 6 में भेजने की बजाए लाभार्थियों को उपलब्ध होगी। इसके लिए सीडीओ बतौर चेकर व डीपीआरओ बतौर मेकर डिजिटल सिग्नेचर कर धनराशि का ट्रांसफर करेंगे।
गौरतलब हो कि अब तक ग्राम पंचायतें ही लाभार्थियों के बैंक खातों में शौचालय निर्माण की धनराशि भेजती आई हैं। हालांकि इसमें अनियमितताएं भी सामने आईं। कई ग्राम पंचायतों ने धनराशि लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजने की बजाए ईंट, मौरंग, सीमेंट व अन्य निर्माण सामग्री सप्लाई करने वाली फर्म के बैंक खातों में भेज दिया। कई ग्राम पंचायतों ने लाभार्थियों को धनराशि न देकर ग्राम निधि बैंक खातों में धनराशि पड़ी रहने दी। जनपद में एनओएलबी के तहत 60 हजार से अधिक शौचालय बनवाए जाने थे। निर्माण समय सीमा में हो जाए इसके लिए जिला प्रशासन ने ग्राम पंचायत सचिवों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। सचिवों व ग्राम प्रधानों ने जिला प्रशासन व पंचायत महकमें के जिम्मेदारों के दबाव में शौचालय बनवाने शुरू कर दिए। इसके लिए ग्राम प्रधानों ने लाखों रुपए अपनी तरफ से फूंक डाले। पर अब लाभार्थियों के बैंक खाते में धनराशि जाने पर प्रधान व उनके प्रतिनिधि परेशान हैं। प्रधान संघ अध्यक्ष संजीव कुशवाहा का कहना है जनपद में ही ग्राम प्रधानों के तकरीबन 25 करोड़ रुपए फंस गए हैं, जिन्हे लाभार्थियों से निकालना मुश्किल होगा।