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पुराना सोना बेंचने व जेवर गिरवी रखने का चलन बढ़ा

कोरोना काल में बुरी तरह टूट चुके सर्राफा व्यवसाई अब आगामी त्योहारों और सहालग में बिक्री बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। यद्यपि अधिकांश सर्राफा व्यवसायियों का कहना है कि यदि कोरोना का संक्रमण इसी तरह...

पुराना सोना बेंचने व जेवर गिरवी रखने का चलन बढ़ा
हिन्दुस्तान टीम,हरदोईTue, 29 Sep 2020 11:06 PM
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कोरोना काल में बुरी तरह टूट चुके सर्राफा व्यवसाई अब आगामी त्योहारों और सहालग में बिक्री बढ़ने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। यद्यपि अधिकांश सर्राफा व्यवसायियों का कहना है कि यदि कोरोना का संक्रमण इसी तरह तेजी से फैलता रहा और धान व गन्ने की फसल का सही मूल्य समय से नहीं मिला तो आगे भी कोई खास बिक्री नहीं होगी। इसलिए नया स्टाक अत्यंत सीमित मात्रा में ही खरीद रहे हैं। वहीं संकट के इस दौर में पुराना सोना बेंचने व जेवर गिरवी रखने का चलन बढ़ा है।

व्यापारियों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में व कस्बे में लोग आर्थिक तंगी से परेशान हैं। इस बात की पुष्टि इसलिए होती है कि बाजार में पुराने जेवर बेचने लोग ज्यादा आ रहे हैं। नए जेवरों की खरीद नाम मात्र की कर रहे हैं। सैकड़ों लोग जेवर गिरवीं रखकर बुरे वक्त में किसी तरह घर के खर्चे चला रहे हैं। इस वर्ष सहालग शादियों के मुहूर्त कम होने के कारण लोग ज्यादातर अगले साल के लिए विवाह आदि टाल रहे हैं। इसलिए व्यवसाई भी नया स्टाक खरीदने में संकोच कर रहे हैं।

सर्राफा व्यवसाई गौरव कपूर का कहना है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी सर्राफा व्यवसाय में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है। मुख्य कारण यह है कि तमाम किसानों को गन्ना का बकाया भुगतान नहीं मिला है। 2019 मे बेचे गये जेवरों की उधारी जस की तस पड़ी हुई है। जब तक डीएससीएल मिल हरियावां किसानों के गन्ने का बकाया भुगतान नहीं करता है, तब तक बाजारों की हालत यही रहेंगी। आगामी सहालग के चलते तीन-चार शादियों के जेवरों के आर्डर मिल पाए हैं।

सर्राफा व्यवसाई राज किशोर सिंह ने कहा कि अभी तक कोई भी आर्डर उन्होंने नहीं बुक किए हैं। दीपावली, नवरात्र, धनतेरस, सहालक में बिक्री की कुछ उम्मीद है। क्षेत्र की दुकानदारी किसानों पर निर्भर है। किसानों की फसल खेतों में खड़ी है। फसल अभी बिक नहीं पाई है। लिहाजा कोई खास फर्क दुकानदारी में नही पड़ रहा है। मक्का व गेहूं के वाजिब दाम न मिलने से भी किसान तबका खरीदारी कम कर रहा है।

कटरा बाजार के सर्राफा व्यवसाई धीरज ने कहा कि अधिकतर लोग पुराना जेवर हटाकर नया खरीद रहे हैं। लोगों के पास नगद दाम नहीं है। लोग हल्के से हल्का जेवर अर्डर पर बुक कर रहे हैं। लोगों के पास आर्थिक तंगी होने से केवल काम चलाने भर को जेवर ले रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र से ग्राहक कम आ रहे हैं। सरकार किसानों के हित में कुछ फैसले ले तो त्योहार में सर्राफा व्यापार भी संवर सकता है।

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