पिहानी(हरदोई)। हिन्दुस्तान संवाद
सर्दी के मौसम के उतार चढ़ाव के कारण आई नमी के चलते गेहूं की फसलों में पीला रतुआ, भूरा रतुआ, धारीदार रतुआ, तना रतुआ, काला रतुआ, करनाल बंट, खुला कंडुआ, पर्ण झुलसा, फुट रांट आदि रोगों की शुरूआत हो गई है।
क्षेत्र में गांव कल्यानी के किसान अनिल प्रजापति का कहना है कि उन्होंने इस बार अपने सभी खेतों में गेहूं की फसल बोई थी। शुरुआत में तो फसल में कोई रोग नहीं लगा था। लेकिन जब फसल दिसम्बर माह में चेपा रोग लग गया। उसके लिए उन्होंने कृषि रक्षा इकाई केंद्र से दवा लाकर गेहूं की फसल पर छिड़काव कर दिया है। चेपा से तो फसल बच गई थी। लेकिन अब फसलों में रतुआ रोग लग गया है। वहीं गांव के अन्य किसानों का कहना है कि बड़ी मुश्किल से तो फसल को चेपा रोग से बचाया अब इस नये रोग ने फसल को अपने चपेट में ले लिया था। उनका कहना है कि अगर इस बार फसल अच्छी नहीं हुई तो कि भूखे मर जाएंगे और पशुओं के लिए भी चारे का टोटा हो जाएगा।
मझिया गांव के चांदगी राम का कहना है कि उनके पास खेती के लिए बहुत कम जमीन है। यही उनके रोजगार का एकमात्र साधन है। अगर वह भी रोग ग्रस्त हो गई तो उनके पास दूसरी फसल आने से पहले कोई आमदनी का साधन नहीं है। उनका आरोप है की क्षेत्र की फसल में रोग लगने के बाद भी कृषि रक्षा इकाई टीमों ने क्षेत्र का दौरा नहीं किया। उनका कहना है कि अगर कृषि इकाई टीम क्षेत्र के खेतों का एक बार दौरा कर लेती तो फसल में रोग लगने के तुरंत बाद किसानों को उसके बारे में जानकारी हो जाती।
संतरहा गांव के महेंद्र ने बताया कि पहले कोरोना ने काल से ही परेशान चल रहक हैं। मात्र गेहूं की फसल का ही सहारा है। अगर गेहूं भी रोग ग्रस्त हो गया तो परिवार पालना मुश्किल पड़ जाएगा। मझिया के गांव के किसान कमलेश राठौर ने अपना दुखड़ा रोते हुए गेहूं की फसल रोग ग्रस्त होने की बात कही।
प्रभारी कृषि शिक्षा इकाई उमेश तिवारी ने बताया कि सभी रोगों की दवाएं उपलब्ध हैं। ये बीमारियां जनवरी में और भी भयानक रूप ले सकती हैं। किसान शीघ्र कृषि रक्षा इकाई केंद्र से संपर्क कर फसल में दवा का छिड़काव करें।