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यहां दुर्भाग्य दिवस के रूप में मनाया जाता कार्तिक पूर्णिमा

हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद बड़ागांव-अर्जुनपुर रामगंगा घाट के लोग कार्तिक पूर्णिमा के स्नान दिवस...

यहां दुर्भाग्य दिवस के रूप में मनाया जाता कार्तिक पूर्णिमा
हिन्दुस्तान टीम,हरदोईSun, 29 Nov 2020 11:24 PM
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हरदोई। हिन्दुस्तान संवाद

बड़ागांव-अर्जुनपुर रामगंगा घाट के लोग कार्तिक पूर्णिमा के स्नान दिवस को दुर्भाग्य दिवस के रूप में मनाते हैं। दुनिया भर में जब इस दिन लोग गंगा स्नान करके पाप धोते हैं तब इस क्षेत्र के लोगों की आंखों से गंगा का सैलाब बहता है। उनका यह दर्द 45 वर्ष पूर्व एक हादसे से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1975 में श्रद्धालुओं से भरी एक नाव इसी गंगा में डूबने से 90 लोगों की मौत हो गई थी। दुर्भाग्यवश कार्तिक पूर्णिमा का पावन दिवस इस भयावह दुर्घटना का साक्षी बन गई। यही कारण है कि इस दुर्घटना को अपनी आंखों से देख चुके क्षेत्रवासी आज भी कार्तिक पूर्णिमा की तिथि को दुभाग्य दिवस के रूप में मना रहे हैं। उनके इस दर्द को साल दर साल कुरेदने के लिए तमाम कार्तिक पूर्णिमा की तारीखों में ट्रैक्टर-ट्रालियों के डूबने जैसी दुर्घटनाएं भी होती रही हैं। मसलन, वर्ष 2012 में एक ट्रैक्टर ट्राली गंगा में गिर जाने से उसमें सवार मां-बेटे की डूबकर मौत हो गई थी। क्षेत्रवासियों के इस दर्द को प्रतिनिधियों ने हर राजनैतिक चौसर पर भुनाया लेकिन उनकी पुल निर्माण की मांग को किसी ने भी पूरा नहीं किया।

पंचनद विकास संघर्ष समिति के संयोजक अवनिकांत मिश्र ने बताया कि 45 वर्ष पूर्व गंगा में समाए 90 श्रद्धालुओं की समाधि स्थल पर हवन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे। उनके इस आयोजन में कटरीवासियों व पीड़ित-प्रभावित परिवारों के साथ-साथ बुद्धिजीवी वर्ग के लोग हवन में आहुतियां देंगे। श्री मिश्र ने कहा कि गंगा, रामगंगा, गंभीरी, गर्रा और नीलम नदियों से घिरी पंचनद कटरी का दुर्भाग्य है कि आजादी के इतने वर्ष बीत जाने के बावजूद क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र को एक पुल तक नहीं दे सके।

45 वर्ष पूर्व गंगा नदी में नाव डूबने से मरने वाले 90 श्रद्धालुओं की स्मृति में पहले ही सुहागचिन्ह त्याग चुकीं लाइब्रेरियन सीमा मिश्रा कार्तिक पूर्णिमा पर उनकी श्रद्धांजलि के लिए एक दिन का व्रत करेंगी। उन्होंने बताया कि बड़ागांव-अर्जुनपुर रामगंगा पुल निर्माण की अनदेखी से आहत होकर उन्होंने छह वर्ष पूर्व वटमावस्या के दिन सुहागचिन्ह त्याग दिया था। उन्होंने प्रतिज्ञा ली है कि वह पुल निर्माण के बाद ही पुन: सुहागचिन्ह धारण करेंगी। तब तक वह सिंदूर, मंगलसूत्र, चूड़ी-कंगन आदि नहीं पहनेंगी।

बिलग्राम में हर साल की तरह इस बार कार्तिक की पूर्णिमा का स्नान ऐतिहासिक नहीं होगा। कोरोना के चलते प्रशासन ने मेला को स्थगित करते हुए सामूहिक स्नान पर पूरी तरीके से रोक लगा दी है। जानकारी देते हुए सुनील सिंह ने बताया की कोरोना संक्रमण के चलते हुए इस बार जिला प्रशासन की अनुमति के अनुसार मेला नहीं लगेगा।

राजघाट के क्षेत्र में जो पहले मेला लगा करता था इस बार पूरी तरीके से खाली करा दिया गया है। कोई भी दुकान नहीं लगाई गई है। इसके अलावा हर साल करीब 2 से तीन लाख लोग गंगा में डुबकी लगाने के लिए आया करते थे। लेकिन इस बार सामूहिक नाम पर भी पूरी तरीके से रोक रहेगी। उन्होंने बताया कि करीब 12 पुलिस के पइंट बनाए गए हैं। जिन पर पुलिस बल तैनात रहेगा। लोगों को जाने से रोका जाएगा। उन्होंने कहा कि वाहन को पूरी तरीके से राजघाट पर जाने से बंद कर दिया गया है। महिलाओं को निर्देशित करने के लिए महिला पुलिसकर्मी भी तैनात रहेगी। उन्होंने बताया कि राजघाट पर पानी का बहाव तेज हो गया है और गहराई भी अधिक हो गई है। जिसकी वजह से वहां पर गोताखोर व नाव लगा दी गयी है। वहीं लोगों को भी सामूहिक स्नान करने के लिए भी गांव-गांव जागरूक किया गया है। इससे इस बार सामूहिक स्नान होने के आसार बेहद कम है।

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