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सर्द हवाएं, रात का अंधेरा भी नहीं रोक पाया आस्था की डूबकी

सोमवार को चतुर्दशी के साथ ही शाम से पूर्णिमा का योग बन गया था। जिस कारण सर्द हवाओं के बीच ही श्रद्धालुओं ने गंगा में कड़कड़ाती ठंड के बीच आस्था की डूबकी लगाते हुए अपने परिजनों को दीपदान...

सर्द हवाएं, रात का अंधेरा भी नहीं रोक पाया आस्था की डूबकी
हिन्दुस्तान टीम,हापुड़Mon, 11 Nov 2019 11:57 PM
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सोमवार को चतुर्दशी के साथ ही शाम से पूर्णिमा का योग बन गया था। जिस कारण सर्द हवाओं के बीच ही श्रद्धालुओं ने गंगा में कड़कड़ाती ठंड के बीच आस्था की डूबकी लगाते हुए अपने परिजनों को दीपदान किया तो वहीं लाखों श्रद्धालु मध्य रात्रि के साथ ही गंगा स्नान कर अपने घरों की तरफ वापस चल दिए।हापुड़ जनपद के गढ़, ब्रजघाट तथा जनपद अमरोहा के तिगरी मेले में गंगा के दोनों छोर पर करीब 40 लाख लोगों ने सर्द हवाओं के बीच गंगा में आस्था की डूबकी लगाई है। खुले मैदान में हवाओं की गति और तेज हो जाती है, मगर सर्द हवाओं का यह सैलाब गंगा में आस्था की डूबकी पर कोई प्रभाव नहीं डाल सका। सोमवार को चतुर्दशी का योग होने के साथ ही शाम 6:08 मिनट पर पूर्णिमा का योग आ गया। जिसके साथ गंगा में मुख्य स्नान पर्व तथा मृत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान का धार्मिक कार्यशुरू हो गया। सर्द हवाओं के बीच लाखों लोगों ने सोमवार की देर शाम से ही आस्था की डूबकी लगाई तो कुछ लोगों ने मध्य रात्रि के बाद गंगा में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। करीब 40 लाख लोगों के इस श्रद्धा के सैलाब में हर हर गंगे, जय गंगे मैय्या के उदघोष से सर्द हवाओं का भी कोई असर नहीं पड़ा, अलबत्ता गंगा के दोनों छोर आस्था तथा भक्ति के सैलाब में उमड़ पडे।जब दोनों छोर हो गए एकहापुड़ के गढ़ तथा अमरोहा के तिगरी गंगा मेले के बीच गंगा की धारा की मात्र 100 मीटर के बीच है। लेकिन शाम के समय जब दीपदान शुरू हुआ तो गंगा के दोनों छोर पर हो रहे गंगा स्नान तथा दीपदान के कारण यह दूरी लगभग समाप्त हो गई। उंचाई से देखने पर दोनों मेलों के बीच कोई दूरी दिखाई नहीं दे रही थी, अलबत्ता गंगा में दूर तक जलते दिए जनपदों के फासले दूर कर एक साथ नजर आ रहे थे।

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