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राजस्थान तक पहुंचा टिड्डी दल, पछवा चली तो जनपद में भी आने की पूरी संभावना

िया गया है। वहीं किसानों की सूची भी प्रावैधिक सहायकों से मांगी गई है। जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ दिव्या मोर्य ने बताया कि राजस्थान के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में यह दल आने की सूचना...

राजस्थान तक पहुंचा टिड्डी दल, पछवा चली तो जनपद में भी आने की पूरी संभावना
हिन्दुस्तान टीम,हापुड़Fri, 29 May 2020 12:11 AM
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टिड्डी दल का प्रकोप अधिक बढ़ने के बाद सभी राज्य सरकार के साथ साथ प्रशासन और क़ृषि विभाग अलर्ट है। जो बचाव के लिए किसानों को जागरुक कर रहा है। साथ ही अपनी ओर से भी तैयारी पूरी कर रहा है। ताकि टिड्डी दल से किसानों की फसलों को बचाया जा सके। कृषि विभाग की ओर से निगरानी कमेटी का गठन कर दिया गया है। वहीं, किसानों की सूची भी प्रावैधिक सहायकों से मांगी गई है।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ दिव्या मोर्य ने बताया कि राजस्थान के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में यह दल आने की सूचना है। जिसको लेकर कृषि रक्षा विभाग अलर्ट है। उन्होंने बताया कि यह दल हवा पर निर्भर करता है। यदि पछवा हवा चली तब हापुड़ और अन्य आस पास के जनपदों में इसका प्रकोप अधिक होगा। यह दल एक ही रात में सैंकड़ों बीघा फसल और वृक्षों की पत्तियों को नष्ट कर सकता है। इसके लिए सभी कृषकों को जागरुक होने की आवश्यकता है। किसान फसलों को नियमित रुप से देखें। ताकि टिड्डी दल से बचाया जा सके। उन्होंने बताया कृषि रक्षा विभाग की ओर से सभी तैयारियां कर ली गई हैं। प्रावैधिक सहायकों की लगाई ड्यूटी के अलावा अन्य तैयारी पूरी - डॉ दिव्या मोर्य ने बताया कि जनपद के प्रत्येक खंड विकास क्षेत्रवार गांवों के किसानों की सूची तैयार की गई है। जिनके पास ट्रैक्टर और स्प्रे पंप हैं। इसके अलावा अग्निशमन विभाग को भी पत्र दिया गया है कि दल के आने पर तत्काल अग्निशमन गाड़ी लेकर तैयार रहें ताकि दल पर दवा का स्प्रे कराया जा सके। सीडीओ की अध्यक्षता में बनी कमेटी जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ दिव्या मोर्य ने बताया कि टिड्डी दल की निगरानी के लिए जिला स्तरीय कमेटी सीडीओ उदय सिंह की अध्यक्षता में गठित की गई है।

कृषि रक्षा अधिकारी सचिव हैं और कृषि उपनिदेशक, जिला कृषि अधिकारी सदस्य हैं। 1975 में गन्ने की फसल कर दी थी बर्बाद -क्षेत्र के गांव सरावा निवासी किसान बालकिशोर त्यागी ने बताया कि 1975 में टिड्डी दल का प्रकोप अधिक हुआ था। इस दल ने सबसे अधिक गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाया था। पानी का हवाई छिड़काव कराया गया। इसके बाद गन्ना विभाग और कृषि विभाग ने स्प्रे कराया था। जिससे दल कई भागो में बंट गया। जबकि दूसरा प्रकोप 1992 में हुआ। किसानों की जागरुकता के चलते टिड्डी से अधिक नुकसान नहीं हो पाया। पत्तियों को खाती और उनका रस चूसती हैं टिड्डी कृषि रक्षा अधिकारी डॉ दिव्या मोर्य ने बताया कि टिड्डी एक दल के साथ चलती हैं जहां रुकती हैं एक साथ रुकती हैं और पत्तियों को खाती हैं एवं उनका रस चूसती हैं। जिससे फसल बर्बाद हो जाती है। यह करें बचाव टिड्डी के आने पर ढोल, नगाड़े,बर्तन और अन्य बजाए कीटनाशक का स्प्रे करें दल के आने पर कृषि विभाग और प्रशासन को सूचना दें टिड्डी को लेकर किसान जागरुक हों

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