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बिना डरे और घबराए कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है कोविड-19 की तीसरी टीम

---कोरोना यौद्धा पॉजिटिव मरीजों के इलाज में जुटे -कोविड-19 अस्पताल में दिन रात दे रहे हैं ड्यूटी -कोई माता पिता से तो कई अपने बच्चों से पिछले कई दिन से नहीं मिले फोटो संख्या-13,14,15 हापुड़।...

बिना डरे और घबराए कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है कोविड-19 की तीसरी टीम
हिन्दुस्तान टीम,हापुड़Thu, 21 May 2020 09:59 PM
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जनपद के कोविड-19 अस्पताल में भर्ती कोरोना पॉजिटिव मरीजों का उपचार करने वाली 25 सदस्यीय कोविड-19 की तीसरी टीम बिना डरे और घबराए कोरोना वायरस से जंग लड़ रही है। वह अपने माता पिता से दूर दिन रात अस्पताल में ड्यूटी कर रहे हैं। कोई अपने बच्चों से तो कोई अपने माता पिता से दूर रहकर अपने फर्ज को निभा रहे हैं। ऐसे कर्मचारी मिशाल पेश कर रहे हैं।कोरोना को लेकर दस्तोई रोड स्थित जिला अस्पताल हापुड़ को कोविड-19 अस्पताल बनाया गया है।

यहां कोरोना के मरीजों को भती किया जाता है। भर्ती मरीजों को यहां चिकित्सकों की टीम बेहतर उपचार दे रही हैं। वर्तमान में कोरोना के मरीजों को उपचार करने में तीसरी टीम जुटी है। इस टीम के सभी सदस्य दिन रात यहां अस्पताल में रुककर ही ड्यूटी कर रहे हैं। टीम इंचार्ज की भूमिका डा.अतुल आनंद निभा रहे हैं। इनके घर में बूढ़े माता पिता और पत्नी के साथ दो छोटे बच्चे हैं। बच्चों, माता पिता और पत्नी से वह गत कई दिनों से नहीं मिले हैं।इसी तरह नर्सिंग ऑफिसर सरिता रानी अपनी ड्यूटी के प्रति मुस्तैद हैं। उनके पति फौज में हैं और घर पर एक साल की बच्ची है। वह ड्यूटी कर तैनात हैं। बच्ची की देखरेख सास ससुर कर रहे हैं। इसी तरह डॉ.संजय सिंह, नर्सिंग ऑफिसर लवी शर्मा, वार्ड ब्वॉय दिनेश शर्मा, स्वीपर दिनेश कुमार, फार्मासिस्ट सूरसैन सहित 25 सदस्य टीम मेहनत से रोज ड्यूटी कर रही है। उधर, सीएचसी अधीक्षक डॉ.दिनेश खत्री ने बताया कि कोविड-19 की टीम बेहतर कार्य कर रही है। सभी कर्मचारी 24 घंटे ड्यूटी करते हैं।

सिर्फ फोन या वीडियो कॉलिंग से करते हैं माता पिता और बच्चों से बातहापुड़। कोविड-19 अस्तपाल में पॉजिटिव मरीजों का उपचार करने वाली तीसरी टीम के 25 सदस्य महीनों से घर नहीं गए हैं। ऐसे में वह परिजनों और बच्चों से सिर्फ फोन या वीडियो कॉलिंग से बात कर रहे हैं। नर्सिंग ऑफिसर लवी शर्मा और सरिता रानी ने बताया कि मरीजों के उपचार के चलते वह थोड़ा बहुत समय निकालकर परिजनों से बात करती हैं। कई बार तो कई दिनों तक बात करने का समय तक नहीं मिलता।

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