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14 वर्ष के लिए भगवान राम गए वनवास, दशरथ ने त्यागे प्राण

श्री रामलीला समिति का बुधवार को रामलीला मैदान में कैकई का कोप भवन जाना, वरदान मांगना और भगवान राम का वनवास जाना का मंचन किया...

14 वर्ष के लिए भगवान राम गए वनवास, दशरथ ने त्यागे प्राण
हिन्दुस्तान टीम,हापुड़Thu, 11 Oct 2018 12:56 AM
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श्री रामलीला समिति का बुधवार को रामलीला मैदान में कैकई का कोप भवन जाना, वरदान मांगना और भगवान राम का वनवास जाना का मंचन किया गया। जिसका मंचन स्वामी पवन देव चतुर्वेदी और व्यास श्रीआदर्श रामलीला मंडली मथुरा द्वारा किया गया। रामलीला के मंचन में केकई के भवन में मंथरा प्रवेश करती है, और बोलती है कि मैने सुना है कि राजा दशरथ राम को राज्य सौंप रहे है। तु ऐेसा मत होने दे और भरत के लिए राज्य मांग। लेकिन केकई मंथरा की बात नहीं मानकर मना कर देती है। मंथरा तरह तरह की बात बताकर भविष्य का चरित्र चित्रण कराती है। केकई मंथरा की बातों में आकर कहती है कि यह कैसे संभव होगा। महाराज मेरी बात नहीं मानेगे। तो मंथरा केकई को युध्द में दिए गए वचनों की याद दिलाकर कहती है, कि अपने वचनों को पूरा करो। केकई महाराज दशरथ के पास जाकर वचन ध्यान दिलाकर भरत के लिए राज्य मांगती है। जबकि राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगती है। यह सुनकर महाराज दशरथ मुर्छित हो जाते है। कुछ समय बाद होश आने पर वह केकई को ऐेसे करने से मना करती है। लेकिन वह एक नहीं सुनते। जिसपर दशरथ भगवान राम को वन जाने की आज्ञा देते है। भगवान के जाने के कुछ समय बाद महाराज दशरथ अपने वचनों के लिए प्राण त्याग देते है। मंचन में प्रधान विनोद वर्मा, महामंत्री उमेश अग्रवाल, कोषाध्यक्ष महेश चंद, संरक्षक मनोज कुमार, अनिल आजाद, डीके सर्राफ, नन्ने ठेकेदार, बच्चू, आनंद भट्टे वाले, हरीप्रकाश, अभिनव, सचिन, नवीन, अतुल, शुभम आदि मौजूद थे।

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