गढ़मुक्तेश्वर : पितृ अमावस्या पर उमड़ा आस्था का सैलाब
संक्षेप: Hapur News - पितृ अमावस्या पर ब्रजघाट में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। दो लाख से अधिक लोगों ने गंगा में स्नान कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पूजन किया। गंगा घाटों पर पिंडदान का विशेष महत्व है,...
पितृ अमावस्या पर आस्था का अद्भुत सैलाब ब्रजघाट में उमड़ पड़ा। रविवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा तटों पर पहुंचनी शुरू हो गई। देर शाम तक दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पूजन-अर्चन किया। गंगा घाटों पर पिंडदान और तर्पण का विशेष महत्व होता है, इसी कारण दूर-दराज से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे। गंगा स्नान के लिए दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से बसों, ट्रेनों और निजी वाहनों से श्रद्धालु पहुंचे। इस दौरान श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान के बाद पितरों को स्मरण करते हुए जल अर्पित किया और उनके नाम से वस्त्र, अन्न व अन्य खाद्य सामग्री का दान किया।

कई स्थानों पर सामाजिक संगठनों और साधु-संतों की ओर से भी भंडारे का आयोजन किया गया। भीड़ का आलम यह रहा कि नेशनल हाईवे-9 पर टोल प्लाजा से लेकर ब्रजघाट गंगा पुल तक वाहनों की लंबी कतारें लग गईं। यातायात व्यवस्था ध्वस्त हो गई और कई घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही। जाम में एंबुलेंस समेत कई जरूरी वाहन भी फंसे रहे, जिससे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ी। पुलिस और प्रशासन की ओर से यातायात सुचारू करने के प्रयास लगातार जारी रहे, लेकिन श्रद्धालुओं की भीड़ के आगे सभी व्यवस्थाएं छोटी पड़ गईं। पंडित विनोद शास्त्री के अनुसार पितृ अमावस्या का दिन श्राद्ध पक्ष का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन गंगा स्नान, पिंडदान और तर्पण करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। इसी वजह से गंगा तटों पर लाखों लोग जुटते हैं। सुबह से ही गंगा घाटों पर धार्मिक माहौल बना रहा। महिलाएं और पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में पितरों को स्मरण कर पूजा-अर्चना करते दिखाई दिए। गंगा में उतरे श्रद्धालु गंगा मैया की जय और पितरों को नमन जैसे जयकारों से वातावरण को भक्तिमय बना रहे थे।

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