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घर पर ही बेगाने हुए मजदूर, खाने तक पड़ रहे लाले

परदेश से लौटे मजदूर अपने ही घर आकर बेगानों की तरह जिंदगी काट रहे हैं। इन्हें गांवों के क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया है। इनकी निगरानी के लिए चौकीदार भी तैनात किए गए है। दूसरे ग्रामीण स्वयं बाहरी...

घर पर ही बेगाने हुए मजदूर, खाने तक पड़ रहे लाले
हिन्दुस्तान टीम,हमीरपुरTue, 07 Apr 2020 10:19 PM
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परदेश से लौटे मजदूर अपने ही घर आकर बेगानों की तरह जिंदगी काट रहे हैं। इन्हें गांवों के क्वारंटाइन सेंटरों में रखा गया है। इनकी निगरानी के लिए चौकीदार भी तैनात किए गए है। दूसरे ग्रामीण स्वयं बाहरी मजदूरों से दामन बचाते हुए घूम रहे हैं। किसी के बाहर निकलते ही ग्रामीण स्वयं ही अफसरों को सूचनाएं देनी शुरू कर देते हैं। इन क्वारंटाइन सेंटरों में खाने-पीने के इंतजाम किए गए हैं, मगर ज्यादातर सेंटरों में दिन काट रहे मजदूर इससे संतुष्ट नहीं है। हिन्दुस्तान टीम ने मंगलवार को इन क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति का जायजा लिया।

मेरापुर के प्राथमिक विद्यालय बालक में इस वक्त कुल 26 ग्रामीणों को रोका गया है। यह सभी लोग 31 मार्च को किसी तरह से महाराष्ट्र और गुजरात से अपने घर लौटे थे। किसी का भी रास्ते में कहीं कोई मेडिकल चेकअप नहीं हुआ। कुछ मजदूर ऐसे भी हैं, जिन्होंने कई-कई किमी पैदल ही अपना सफर तय किया। थकावट से चूर मजदूरों को जब गांव दिखा तो इन्हें क्वारंटाइन सेंटरों में लाकर रोक दिया गया ताकि अगर कोई भी मजदूर कोरोना वायरस से प्रभावित है तो इसका असर दूसरों तक न पहुंचे। यहां रोके गए मजदूरों को खाने-पीने की क्वालिटी पर एतराज है। वैसे तो तीन रसोइयों की ड्यूटी लगाई गई है, मगर मजदूर भोजन की क्वालिटी से खुश नहीं है। हालांकि मजदूर खाली वक्त में स्कूल की साफ-सफाई के साथ ही पौधारोपण जैसे रचनात्मक कार्य भी कर रहे हैं। इनकी सुरक्षा के लिए एक बीट अधिकारी और एक चौकीदार की तैनाती की गई है।

20 मजदूरों की खाने-पीने के लाले

राठ। थाना मझगवां क्षेत्र के ग्राम खिरिया में हरियाणा, दिल्ली से आधा सैकड़ा मजदूरों की वापसी हुई है। जिनमें 20 लोगो को गांव के प्राथमिक विद्यालय में क्वारंटाइन किया गया है। इनके खाने-पीने का इंतजाम इन्हीं के घर वालों के जिम्मे हैं। ग्राम प्रधान गिरजारानी ने बताया कि गांव लौटे मजदूरों की जांच नौरंगा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कराई गई थी। जिसके बाद 20 मजदूरों को स्कूल में रोका गया। इनके खाने-पीने की व्यवस्था प्रशासन या किसी समाजसेवी संस्था द्वारा नहीं की गई है। इनका खाना इन्हीं के घरों से आता है। विद्यालय में स्वास्थ्य विभाग की कोई टीम नहीं है और न ही कोई चिकित्सक वहां पहुंचता है। जिससे मजदूरों का इलाज किया जा सके। क्वारंटाइन किए गए सभी मजदूर इलाज से वंचित है।

नजरबंद परदेशियों की पेट की आग बुझा रहे घर वाले

भरुआ सुमेरपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए अस्थाई क्वारंटाइन में प्रशासन ने खाने-पीने के कोई इंतजाम नहीं कराए हैं। अस्थाई क्वारंटाइन होमों में रुके लोग घरों से खाना मंगवाकर पेट भर रहे हैं। कहीं-कहीं पर ग्राम प्रधानों ने कुछ इंतजाम करा रखे हैं। यह सच मंगलवार को हिन्दुस्तान द्वारा किए गए सर्वे में सामने आया है।

मंगलवार को हिन्दुस्तान ने ग्राम पंचायत नदेहरा का दौरा करके पूर्व माध्यमिक विद्यालय में बनाए गए अस्थाई क्वारंटाइन सेंटर का निरीक्षण किया। यहां परदेश से लौटे 38 लोग ठहरे हुए हैं। इन्होंने बताया कि यहां पर खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं कराया गया है। वह घरों से खाना मंगवाकर खा रहे हैं। प्रधान प्रतिनिधि लाला प्रधान ने सुबह फल की व्यवस्था करा रखी है जिससे वह संतुष्ट है। इसके अलावा यहां पर किसी तरह का कोई इंतजाम नहीं है। मंगलवार को प्रधान प्रतिनिधि ने एसडीएम सदर राजेश कुमार चौरसिया, सीओ सदर अनुराग सिंह व थानाध्यक्ष रीता सिंह की मौजूदगी में क्वारंटाइन लोगों को फल वितरण कराया।

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