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हमीरपुर में प्रमुख मंदिरों को जाने वाली सड़कों की मरम्मत योजना निरस्त

हमीरपुर के प्रमुख मंदिरों तक पहुंचने वाले मार्गों को सुधारने की योजना को पर्यटन विभाग ने निरस्त कर दिया है। लोक निर्माण विभाग ने स्टीमेट बनाकर भेजा था। विभाग का कहना है कि योजना केवल उन मंदिरों के लिए...

हमीरपुर में प्रमुख मंदिरों को जाने वाली सड़कों की मरम्मत योजना निरस्त
Newswrap हिन्दुस्तान, हमीरपुरSun, 1 Sep 2024 04:37 AM
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हमीरपुर। जनपद के प्रमुख मंदिरों तक जाने वाले मार्गों को चुस्त-दुरुस्त बनाने की योजना को पर्यटन विभाग ने निरस्त कर दिया है। लोक निर्माण विभाग ने इन मार्गों का स्टीमेट बनाकर भेजा था। विभाग का कहना है कि योजना उन मंदिरों के लिए है जहां कम से कम एक लाख श्रद्धालुओं का पूजा-अर्चना के लिए आना-जाना होता है। शासन ने श्रद्धालुओं को प्रमुख मंदिरों तक पहुंचने के लिए आसपास के मार्गों को चुस्त-दुरुस्त बनाने की योजना तैयार की थी। पर्यटन विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी। लोक निर्माण विभाग को मार्गों का स्टीमेट बनाकर भेजना था। विभाग ने जनपद के प्रमुख मंदिरों सरीला का शल्लेश्वर, भेड़ी का महेश्वरी माता और बेरी का कोटेश्वर मंदिर सहित करीब आठ प्रमुख मंदिरों का स्टीमेट बनाकर पर्यटन विभाग को भेजा था ताकि मंदिरों तक सड़कों का निर्माण हो सके। लेकिन पर्यटन विभाग ने आपत्ति लगाकर बजट देने से इनकार कर दिया है। जिससे सड़कों के निर्माण कार्य ठंडे बस्ते में चला गया है। सरीला स्थित शल्लेश्वर मंदिर पहुंच मार्ग अरसे से खराब है। जरिया से सरीला पहुंचने में श्रद्धालुओं को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। भेड़ी जलालपुर स्थित मां महेश्वरी देवी मंदिर सहित प्रमुख मंदिरों के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं, मगर सड़कों की टूट-फूट होने के कारण लोगों को मंदिर आने जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

अपना दल (एस) के जिलाध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत का कहना है कि सरीला सहित आसपास के क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। इसलिए शासन को चाहिए कि यहां आने के लिए आसपास की समस्त सड़कों की मरम्मत कराना चाहिए। लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता एमएल वर्मा ने बताया कि जिन मंदिरों को जाने वाले मार्गों के स्टीमेट बनाकर पर्यटन विभाग को भेजे गए थे वो निरस्त कर दिए गए हैं। पर्यटन विभाग का कहना है कि ऐतिहासिक मंदिर के दर्शन के लिए कम से कम पांच लाख श्रद्धालुओं का आना आवश्यक होता है। जबकि जिला पर्यटन अधिकारी डॉ.चित्रगुत श्रीवास्तव ने बताया कि यह मामला शासन स्तर का है, उनके संज्ञान में नहीं है।

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