गांव में शुरू हुई राजनीति, प्रधान ने उठाया दलित मुद्दा
राठ तहसील के मुस्करा खुर्द गांव में धूम्र ऋषि के मंदिर में विधायक मनीषा अनुरागी के प्रवेश को लेकर अब ग्रामीणों को दो खेमों में बांटने की राजनीति शुरू हो गयी है। गांव प्रधान का कहना है कि गांव के...
राठ तहसील के मुस्करा खुर्द गांव में धूम्र ऋषि के मंदिर में विधायक मनीषा अनुरागी के प्रवेश को लेकर अब ग्रामीणों को दो खेमों में बांटने की राजनीति शुरू हो गयी है। गांव प्रधान का कहना है कि गांव के सामंतवादी मानसिकता के लोगों ने विधायक के दलित होने की वजह से इस प्रकरण को तूल दिया। प्रधान के अनुसार मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर कोई रोक नहीं है। दीपावली में दो दिनों तक मंदिर परिसर में लगने वाले मेले में गांव की सैकड़ों महिलाएं परिक्रमा कर पूजा-अर्चना करती हैं।
विधायक के लौटने के बाद तैयार किया गया माहौल
12 जुलाई को मुस्करा खुर्द गांव के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में राठ विधायक मनीषा अनुरागी यूनिफार्म बांटने पहुंची थीं। ग्रमा प्रधान ओमप्रकाश अनुरागी के अनुसार उन्होंने गांव के विकास को लेकर कुछ प्रस्ताव रखे थे। उनमें धूम्र ऋषि के मंदिर तक जाने वाले रास्ते पर सीसी रोड बनवाने का भी प्रस्ताव था। विधायक इस सड़क का निरीक्षण करने पहुंची। यहीं पर उन्हें मंदिर के बारे में जानकारी दी गई और ग्रामीणों के कहने पर ही विधायक ने मंदिर पहुंचकर दर्शन किए। प्रधान के अनुसार उस दिन गांव में किसी किस्म की कोई चर्चा नहीं हुई लेकिन यह बात गांव के सामंतवादी दबंगों को रास नहीं आई, बाद में गांव में मंदिर के अपवित्र होने का माहौल तैयार किया गया। प्रधान ने बताया कि बाद में गांव वालों की पंचायत भी हुई, इसी पंचायत के बाद आपस में चंदा करके 22 जुलाई को ग्रामीणों का जत्था वाहनों के साथ मंदिर की एक ईंट प्रतीक के रूप में इलाहाबाद लेकर पहुंचे। जहां ईंट को संगम में स्नान कराने के बाद पुन: मंदिर में लाकर स्थापित कराया गया।
मुस्करा खुर्द में 60 फीसदी दलित आबादी
ग्राम प्रधान कहते हैं पूरे घटनाक्रम के पीछे खुरापाती दिमाग काम कर रहा था। दरअसल गांव में 60 फीसदी आबादी दलितों की है। इसके अलावा 40 फीसदी आबादी में अन्य वर्ग आते है। गांव की प्रधान पद की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। जिसमें ओमप्रकाश अनुरागी की जीत हुई थी। इसके बाद से गांव में पार्टीबंदी हो गई। सुरक्षित सीट से अपने जेबी प्रत्याशी की हार के बाद से दूसरा पक्ष मौजूदा प्रधान के खिलाफ खड़ा रहता है और मौका मिलते ही आरोप-प्रत्यारोप के साथ ही शिकायतों का दौर शुरू हो जाता है।
आम दिनों से दूर से दर्शन करते हैं दलित
ग्राम प्रधान के अनुसार आम दिनों में दलित समाज के लोग मंदिर के दूर से ही दर्शन करते हैं। फिर वो चाहे महिला या पुरुष। प्रधान का कहना है कि कुछ लोगों ने बेतुकी परंपरा बना रखी है। विधायक मनीषा अनुरागी के मंदिर में प्रवेश के बाद उसकी गंगाजल से साफ-सफाई और ईंट को लेकर जाकर इलाहाबाद में संगम स्नान कराने के पीछे भी सिर्फ नीचा दिखाने की चेष्टा की गई है।
प्रधान के भाई तो कुछ और ही कहते हैं
अपने को ग्राम प्रधान का बड़ा भाई बताने वाले घासीराम कहते हैं कि मंदिर में महिलाओं का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। उनका कहना है कि सालों से यही परम्परा चली आ रही है। उन्होंने हिन्दुस्तान को बताया कि जिस समय विधायक मंदिर में जा रहीं थीं वह भी थोड़ी दूर पर थे। उनके भाई ग्राम प्रधान और एक मास्टर साहब विधायक के साथ थे। मास्टर साहब ने विधायक को मंदिर में जाने के लिए कहा था इसके बाद किसी ने उनको नहीं रोका। घासीराम के अनुसार वह भी इसलिए नहीं बोले कि कौन दुश्मनी ले, बाद में गांव वालों ने मंदिर पवित्र करने का फैसला लिया। घासीराम के अनुसार 40-45 गांव वालों के साथ वह भी इलाहाबाद गए थे।
नहीं बजता गांव में कभी डंका
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में दंगल के समय कभी ढोल नहीं बजाया जाता। मान्यता है कि ढोल बजाने से धूम ऋषि कुपित हो जाते हैं। जिसका असर यह होता है कि दंगल के पहलवानों को इतना जोश आ जाता है कि वह मरने मारने पर उतारू हो जाते हैं। इसी तरह आश्रम के आसपास हर्ष फायरिंग भी नहीं की जा सकती।
पुजारी बोले, महिलाओं का प्रवेश वर्जित
मंदिर के पुजारी धर्ममुनि महाराज उर्फ हरीसिंह बाबा ने बताया कि वह टोला रावत गांव के मूल निवासी हैं। करीब तीन माह पूर्व ग्रामीणों के कहने पर वह आश्रम में आए हैं। इससे पूर्व वह सोनभद्र के आश्रम में रहते थे। पुजारी ने बताया कि महिलाओं का प्रवेश आश्रम में वर्जित है। उन्होंने कहा यह पहला मामला नहीं है, ग्रामीणों बताते हैं कि करीब चार दशक पूर्व भी एक महिला धूम्र ऋषि के आश्रम में गई थी। जिसके बाद ऐसे ही स्थिति पैदा हो गई थी।