खरीफ की प्रमुख फसलों का बीज गोदाम से नदारद
मानसून की आहत होते ही खरीफ की फसलों की बुवाई की तैयारियां शुरू होने लगी है। कृषि विभाग ने समय से तैयारी करते हुए अस्सी फीसदी अनुदान पर खरीद की फसलों के बीज गोदामों में मुहैया कराए हैं। लेकिन खरीफ की...
मानसून की आहत होते ही खरीफ की फसलों की बुवाई की तैयारियां शुरू होने लगी है। कृषि विभाग ने समय से तैयारी करते हुए अस्सी फीसदी अनुदान पर खरीद की फसलों के बीज गोदामों में मुहैया कराए हैं। लेकिन खरीफ की प्रमुख फसल अरहर एवं ज्वार का बीज गोदाम से गायब है।
मानसून की आहट मिलते ही किसानों के मध्य खरीफ की फसलें बोने की सुगबुगाहाट तेज हो गई है। कृषि विभाग ने भी अपनी आधी-अधूरी तैयारियां करके किसानों को 80 फीसदी अनुदान पर बीज मुहैया कराने की तैयारी की है। राजकीय बीज गोदाम के प्रभारी विक्रम सिंह ने बताया कि शासन से किसानों को 80 फीसदी अनुदान पर काला उरद, तिल, सोयाबीन, ढेंचा का बीज मुहैया कराया है। उन्होंने बताया कि अरहर, ज्वार, मूंगफली के बीज की डिमांड लगी है। परन्तु अभी तक बीज उपलब्ध नहीं हुआ है। बता दें कि बुंदेलखंड में खरीफ की फसलों में ज्वार एवं अरहर की फसल प्रमुखता के साथ बोयी जाती है। इस क्षेत्र में किसान काले उरद की जगह हरे रंग के उरद की फसल को प्रमुखता देता है। लेकिन यह सभी प्रमुख फसलों के बीज गोदाम से फिलहाल नदारत है।
बता दें कि बुंदेलखंड में आद्रा नक्षत्र के बाद किसान खरीफ की फसलों की बुवाई शुरू करता है। ज्यादातर फसलें जून के अंतिम सप्ताह अथवा जुलाई के प्रथम सप्ताह में बो दी जाती है। इस वर्ष भाद्रा नक्षत्र 22 जून से शुरू हो रहा है। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि अगर मानसून ने साथ दिया तो 25 जून के बाद खरीफ की बुवाई शुरू हो सकती है। इसके लिए किसानों की तैयारियां भी शुरू है। वैसे भी बुंदेलखंड में पुरानी कहावत है कि 13 कार्तिक, 3 अषाढ़। यानी तेरह दिन कार्तिक मास के शुरू में बुवाई के सबसे अच्छे दिन माने जाते हैं। इस मास में रबी की फसलें बोई जाती है। इसी तरह वर्षा शुरू होते ही अषाढ़ में तीन दिन का मौका खरीफ की फसलों की बुवाई को मुफीद माना जाता है और किसान मौका पाते ही तीन दिन में खरीफ की फसलें बो देता है।