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हिंदी को मातृभाषा का सम्मान दिलाना होगा

हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...

हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
1/ 3हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
2/ 3हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
3/ 3हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के...
हिन्दुस्तान टीम,हमीरपुरFri, 14 Sep 2018 10:42 PM
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हिंदी दिवस पर विभिन्न स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन कर हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने और इसे मातृभाषा का सम्मान दिलाने को लेकर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने हिंदी और संस्कृत के सामंजस्य के संबंध में प्रकाश डाला।

पीजी कालेज कुछेछा में प्राचार्य डॉ.सत्येंद्र सिंह ने कहा कि हिंदी दिवस की सार्थकता तभी है जब हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि जब तक नीति निर्माताओं की इच्छा शक्ति नहीं होगी हिंदी राष्ट्रभाषा के रूप में स्थापित नहीं हो सकेगी। डॉ.ज्ञानमाला ने हिंदी दिवस मनाए जाने के परिप्रेक्ष्य पर प्रकाश डाला। डॉ.प्रेरणा शुक्ला ने काव्य पाठ के जरिए हिंदी की उपादेयता बताई। डॉ.सीमा दीक्षित ने कहा कि सूचना तकनीक के इस युग में हिंदी का प्रयोग बढ़ा है। डॉ.वंदना, डॉ.पवन यादव ने हिंदी के महत्व पर चर्चा की। इस मौके पर डॉ.शिवकुमार गुप्ता, विष्णु कुमार खरे ने डॉ.रावेंद्र सिंह, डॉ.शक्ति गुप्ता, डॉ.स्वामी प्रसाद, डॉ.विनोद यादव, मनीष कुमार, बृजेश कुमार, केएन गुप्ता मौजूद रहे। संचालन डॉ.दीपिका कटियार ने किया।

अनेकता में एकता के स्वर के तहत हिंदी दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजकीय महाविद्यालय मौदहा के प्राचार्य डॉ.बीके त्रिपाठी ने कहा कि तीन शब्द बड़े महत्वपर्ण होते हैं वे है मां, मातृभाषा और मातृभूमि। मां से ही हमें मातृभाषा मिलती है, मातृभाषा अनेकता में एकता को जोड़ने वाली प्रधान कड़ी है। किंतु हिंदी को अपने अतीत का गौरव अभी प्राप्त नहीं हुआ है। किसी भी ज्ञान को जब अपनी भाषा में नहीं जान पाएंगे तब तक उसके रहस्य को नहीं जान पाएंगे। ज्ञान को अपनी भाषा में जानना चाहिए। कॉलेज के प्राचार्य डॉ.भवानीदीन ने कहा कि हिन्दी हमारे राष्ट्र के वैविध्य को संवारती है। आम लोगों से संवाद की एक माध्यम है। उन्होंने प्रतीक चिन्ह भेंटकर मुख्य अतिथि को सम्मानित किया। कार्यक्रम में डॉ.श्यामनारायन, डॉ.लालता प्रसाद, प्रदीप यादव, विनय, निधि, रोहिणी, आरती गुप्ता, स्वाती, सोनम, अमृता यादव ने विचार रखे।

राष्ट्रीय हिंदी दिवस पर प्रोग्रेसिव एवं प्रैक्टिसिंग डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन ने संगोष्ठी का आयोजन किया। जिसकी अध्यक्षता राजेंद्रवीर सिंह चौहान ने की। इस मौके पर एल्डर्स कमेटी के सदस्य देवीचरन मिश्रा ने कहा कि हिंदी भारत की जन-जन की भाषा है। कानून की भाषा आज भी अंग्रेजी है। जिससे आम आदमी को कानून की पेंचीदगियों को समझने में कठिनाई होती है। हमें हिंदी को बढ़ावा देना चाहिए। राजेंद्र वीर सिंह चौहान ने कहा कि न्यायालयों में गरीबों को सुलभ सस्ता न्याय दिलाने में विधिक साक्षरता व सेवा प्राधिकरण इस तरफ प्रयत्नशील है। मनीराम वर्मा ने कहा कि न्यायालय व कार्यालयों में हिंदी में कार्य करने को हिंदी के सामान्य शब्दों का विकास करना होगा।

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