वसूली को लेकर व्यापारियों के खाते किए सीज, हाथ आए सिर्फ 49 हजार
Hamirpur News - हमीरपुर, संवाददाता। बकाया वैट टैक्स वसूलने को लेकर शुरू हुआ अभियान टांय-टांय फिस्स हो

हमीरपुर, संवाददाता। बकाया वैट टैक्स वसूलने को लेकर शुरू हुआ अभियान टांय-टांय फिस्स हो गया है। करीब तीस करोड़ के टैक्स बकाया वसूली को लेकर बकाएदार व्यापारियों के खाते सीज किए गए थे, लेकिन विभाग के हाथ टैक्स वसूली के नाम पर 49 हजार रुपए हाथ लगे हैं। व्यापारियों ने अभियान से पूर्व ही खातों से धनराशि की निकासी कर ली। बैंकों ने भी ज्यादा सहयोग नहीं किया।
राज्य कर विभाग के लिए पूरा अभियान खोदा पहाड़ निकली चुहिया जैसा साबित हुआ है। वर्ष 2008 से वर्ष 2017 तक व्यापारियों से वैट कर की वसूली होती थी। इस अवधि में जनपद के करीब सात सौ व्यापारियों के ऊपर वैट टैक्स का तीस करोड़ रुपए बकाया था। इसके बाद शासन ने जीएसटी लागू कर दी और व्यापारियों ने वैट टैक्स जमा नहीं किया। बकाया टैक्स वसूली को लेकर पिछले दिनों विभाग ने अभियान चलाकर व्यापारियों के खाते सीज करने शुरू कर दी और उसमें जमा धनराशि में से टैक्स की बकाया राशि निकालकर शासन के खाते में जमा करानी शुरू कर दी।
व्यापारियों ने आनन-फानन खातों से निकाली रकम
व्यापारियों ने इस मामले को लेकर प्रदेश व्यापी प्रदर्शन भी किया, मगर उसका कोई असर नहीं हुआ। व्यापारियों में राज्य कर विभाग की मंशा भांपते हुए आनन-फानन अपने खातों से पैसा निकालकर दूसरे खाते में जमा कर दिया।
बैंकों से भी नहीं मिला सहयोग
इस मामले में बैंकों ने भी विभाग का ज्यादा सहयोग नहीं किया। तब तक व्यापारियों ने खाते से पूरा धन निकाल लिया। विभाग को अभियान के दौरान सिर्फ 49 हजार रुपए की मामूली धनराशि मिलने से शासन ने इस मामले में फिर से दूसरा रास्ता निकालकर वैट का बकाया धन वसूल करने की रणनीति तैयार की है।
व्यापार की शुरुआत नहीं की और लगने लगा था टैक्स
इस संबंध में व्यापारियों का कहना है कि उन्होंने उद्योग का पंजीकरण तो कराया था, मगर व्यापार की शुरुआत नहीं की थी। इसके बाद भी वैट में उनसे टैक्स की वसूली की जा रही है, जो व्यापारी के साथ अन्याय है।
प्रयास सफल नहीं हुए, फिर से शुरू होगा अभियान
राज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर विजय कृष्ण का कहना है कि पुराना वैट टैक्स वसूली को लेकर प्रयास तो बहुत किया गया था, मगर व्यापारियों को इसकी भनक लग गई और उन्होंने फटाफट अपने खातों से पैसा निकाल लिया। जिससे अभियान सफल नहीं हो पाया। इसके बाद फिर से अभियान चलाने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।
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