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बाढ़ से बचाने की परियोजनाओं पर धूल की परतें

यमुना-बेतवा के साथ-साथ करीब आधा दर्जन से अधिक नदियों से घिरे जनपद को बाढ़ से बचाने की परियोजनाएं शासन स्तर पर धूल फांक रही है। एकमात्र परियोजना को स्वीकृत तो मिली है, मगर अभी तक धनराशि नहीं दी गई है।...

बाढ़ से बचाने की परियोजनाओं पर धूल की परतें
हिन्दुस्तान टीम,हमीरपुरSat, 21 Sep 2019 11:40 PM
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यमुना-बेतवा के साथ-साथ करीब आधा दर्जन से अधिक नदियों से घिरे जनपद को बाढ़ से बचाने की परियोजनाएं शासन स्तर पर धूल फांक रही है। एकमात्र परियोजना को स्वीकृत तो मिली है, मगर अभी तक धनराशि नहीं दी गई है। मेरापुर-भिलावां जैसे घनी आबादी वाले इलाके आज भी बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। इन इलाकों में यमुना की कटान से रिहायशी मकानों का अस्तित्व संकट में आ गया है।

हमीरपुर नगर में यमुना-बेतवा नदियों के एए, बीबी, सीसी, डीडी एवं एफएफ बांध के सुदृढ़ीकरण एवं पुनरोद्धार कार्य के लिए 954.35 लाख रुपए की परियोजना तैयार की गई थी। जो स्वीकृत नहीं हुई। मुख्यालय को बाढ़ से बचाने के लिए यमुना-बेतवा नदी के पुल तक रिंग बांध की योजना भी तैयार की गई थी। जिसकी लागत 106913.75 लाख है। इस परियोजना को भी ठंडे बस्ते में डाले रखा गया है। यमुना नदी पर ग्राम मेरापुर में स्पर निर्माण की परियोजना 945.67 लाख की तैयारी धूल फांक रही है। कागजों में इस परियोजना को स्वीकृत किया जा चुका है, लेकिन धनराशि नहीं दी गई है। इस परियोजना से मेरापुर को बाढ़ से बचाने का मकसद है। मुख्यालय से लगे टिकरौली एवं अन्य गांवों को बचाने के लिए बेतवा नदी में सुरक्षात्मक कार्य की परियोजना तैयार की गई थी। जिसकी लागत 2174.95 लाख है। इसे भी स्वीकृत नहीं किया गया है। जबकि हर साल बाढ़ में टिकरौली मार्ग डूब जाता है और कई गांवों का मुख्यालय से संपर्क कट जाता है। जिससे लोगों को जान हथेली पर रखकर असुरक्षित तरीके से नावों से आवाजाही करनी होती है।

इसी प्रकार कुरारा ब्लाक के ग्राम कोतूपुर एवं पटिया में हो रहे कटान को रोकने के लिए 5 अदद स्पर निर्माण की योजना लागत 790.48 लाख की तैयार की गई। जिसे राज्य बाढ़ नियंत्रण परिषद की स्थाई संचालन सलाहकार समिति की 51वीं बैठक में स्वीकृत किया जा चुका है। लेकिन धनराशि का आवंटन नहीं हुआ है। बता दें कि इन सारी योजनाओं को स्थानीय स्तर से शासन को भेजा जा चुका है, मगर शासन ने अभी तक किसी भी परियोजना को स्वीकृति प्रदान नहीं की है, जिसे स्वीकृत किया भी गया है, उसके लिए पैसा नहीं है।

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