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बटाई-बलकट पर खेती करने वाले केंद्रों में गेहूं बेचने से वंचित

कृषि योग्य जमीन बटाई एवं बलकट में लेकर खेती करने वाले किसान सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों में गेहूं न बेच पाने से बेहद परेशान है। किसानों का कहना है कि गांवों में तैनात लेखपालों की रिपोर्ट के जरिए ऐसे...

बटाई-बलकट पर खेती करने वाले केंद्रों में गेहूं बेचने से वंचित
हिन्दुस्तान टीम,हमीरपुरFri, 12 Apr 2019 10:32 PM
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कृषि योग्य जमीन बटाई एवं बलकट में लेकर खेती करने वाले किसान सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों में गेहूं न बेच पाने से बेहद परेशान है। किसानों का कहना है कि गांवों में तैनात लेखपालों की रिपोर्ट के जरिए ऐसे किसानों को गेहूं खरीद केंद्रों में उपज के अनुसार गेहूं बेचने का अवसर मुहैया कराया जाना चाहिए। सरकारी केंद्रों में गेहूं न बेच पाने का मलाल किसानों के मन में है।

शासन की गेहूं खरीद नीति के अनुसार प्रत्येक किसान एक हेक्टेयर में 30 कुंतल गेहूं बेच सकता है। उसे खसरा भी देना होगा। लेकिन सवाल यह है कि गांवों के यह किसान क्या करें। जिनके नाम खेती ही नहीं है। वह गांवों में बटाई एवं बलकट लेकर खेती करके अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। खेती करना ही उनका रोजगार है। शुक्रवार को नवीन गल्ला मण्डी के हाट शाखा (विपणन विभाग) के केंद्र में आए विदोखर मेदनी के किसान अभिषेक द्विवेदी, इमामुद्दीन, विनोद कुशवाहा, सुभानी, प्रदीप तिवारी एवं रामनरेश द्विवेदी ने बताया कि वह लोग बटाई एवं बलकट पर जमीन लेकर खेती करते हैं। इस वर्ष भी बटाई एवं बलकट की जमीन पर गेहूं की फसल उगाई है। उत्पादन भी औसतन ठीक है। लेकिन समस्या यहहै कि उनकी उपज सरकार की ओर से खोले गए सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं बिक पा रही है। समस्या यह है कि उनके नाम जमीन नहीं है। मजबूरी में अपनी उपज को औने-पौने दाम पर खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है।

किसानों का कहना है कि सरकार दावा करती है कि किसानों की आमदनी दोगुनी की जाएगी। लेकिन इस समस्या से तो लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। किसानों के अनुसार कुछ ऐसे इंतजाम कर कार की ओर से कराए जाने चाहिए जिससे बटाई एवं बलकट पर खेती करने वाले किसानों को भी मूल जोत वाले किसानों की तरह सुविधा मिल सके। मसलन फसली खसरा बनाते समय यह तय होना चाहिए कि खेत में क्या बोया है और खेत बटाई पर है अथवा बलकट, अगर बटाई एवं बलकट पर है तो बटाई में आधा तथा बलकट में पूरी फसल बेचने का अधिकार खेती करने वाले किसान को लेखपाल की रिपोर्ट पर मिलना चाहिए। इससे इन किसानों की समस्या हल हो सकती है वरना ऐसे किसान कभी बी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं ले पाएंगे और सरकार की किसानों की आमदनी बढ़ाने का सपना अधूरा रह जाएगा। किसान नेता संतोष सिंह, दुलीचंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि सरकार की ओर से अगर कोई इंतजाम नहीं हो सकते हैं तो सरकार को सख्ती के साथ यह सुनिश्चित कराना चाहिए कि सरकारी केंद्रों में निर्धारित की गई धनराशि पर ही व्यापारी भी गेहूं खरीद करें। इससे बटाई एवं बलकट पर खेती करने वाले किसानों का भरण हो जाएगा।

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