Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Government should not rush on sensitive issues Mayawati s advice on Waqf Board Bill

संवेदनशील मुद्दों पर जल्दबाजी न करे सरकार, वक्फ बोर्ड बिल पर मायावती की नसीहत

  • लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश होते ही विपक्षी दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है।लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश होते ही विपक्षी दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। अखिलेश यादव के बाद मायावती ने इस पर केंद्र को नसीहत दी है।

संवेदनशील मुद्दों पर जल्दबाजी न करे सरकार, वक्फ बोर्ड बिल पर मायावती की नसीहत
Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तानThu, 8 Aug 2024 10:31 AM
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लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश होते ही विपक्षी दलों की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने संसद के अंदर और बाहर दोनों स्थानों पर इस बिल का विरोध किया। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी इस बिल को लेकर केंद्र सरकार को नसीहत दे दी है। मायावती ने भाजपा के साथ ही कांग्रेस को भी निशाने पर ले लिया है। मायावती ने कहा कि वक्फ संशोधन बिल को लेकर कई तरह के संदेश और आशंकाएं सामने आई हैं। ऐसे में बिल को संसद की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाना चाहिए। ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर सरकार को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर मायावती ने लिखा कि केन्द्र व यूपी सरकार द्वारा मस्जिद, मदरसा, वक्फ आदि मामलों में जबरदस्ती की दखलन्दाजी तथा मन्दिर व मठ जैसे धार्मिक मामलों में अति-दिलचस्पी लेना संविधान व उसकी धर्मनिरपेक्षता के सिद्धान्त के विपरीत अर्थात ऐसी संकीर्ण व स्वार्थ की राजनीति क्या जरूरी? सरकार राष्ट्रधर्म निभाए।

· उन्होंने कहा कि मन्दिर-मस्जिद, जाति, धर्म व साम्प्रदायिक उन्माद आदि की आड़ में कांग्रेस व भाजपा ने बहुत राजनीति कर ली और उसका चुनावी लाभ भी काफी उठा लिया। अब देश में खत्म हो रहा आरक्षण व गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, पिछड़ापन आदि पर ध्यान केन्द्रित करके सच्ची देशभक्ति साबित करने का समय है।

इसके साथ ही कहा कि संसद में पेश वक्फ (संशोधन) विधेयक पर जिस प्रकार से इसको लेकर संदेह, आशंकाएं व आपत्तियां सामने आयी हैं। उसके मद्देनजर इस बिल को बेहतर विचार के लिए सदन की स्थायी (स्टैण्डिंग) समिति को भेजना उचित होगा। ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर सरकार अगर जल्दबाजी न करे तो बेहतर।

मायावती से पहले अखिलेश ने संसद में इस बिल को लेकर कहा कि वक्फ बोर्ड में गैरमुस्लिम को सदस्य बनाने का क्या औचित्य है। जिलाधिकारी को सब ताकत देने पर भी अखिलेश ने सवाल उठाए। बिना किसी का नाम लिए कहा कि एक जगह पर एक जिलाधिकारी ने क्या किया, सभी को पता है। उसके कारण आने वाली पीढी को सामना करना पड़ेगा। कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा हताश और निराश है। उसी हताशा और निराशा में यह बिल लाने का प्रयास कर रही है।

वहीं एक्स पर अखिलेश ने लिखा कि ‘वक़्फ़ बोर्ड’ का ये सब संशोधन भी बस एक बहाना है। रक्षा, रेल, नज़ूल लैंड की तरह ज़मीन बेचना निशाना है। वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीनें, डिफ़ेंस लैंड, रेल लैंड, नज़ूल लैंड के बाद ‘भाजपाइयों के लाभार्थ योजना’ की शृंखला की एक और कड़ी मात्र हैं। भाजपा क्यों नहीं खुलकर लिख देती : ‘भाजपाई-हित में जारी’। अखिलेश ने कहा कि इस बात की लिखकर गारंटी दी जाए कि वक़्फ़ बोर्ड की ज़मीनें बेची नहीं जाएंगी। भाजपा रियल स्टेट कंपनी की तरह काम कर रही है। उसे अपने नाम में ‘जनता’ के स्थान पर ‘ज़मीन’ लिखकर नया नामकरण भारतीय ज़मीन पार्टी कर देना चाहिए।

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