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आप बॉक्स मत दीजिए, हम ट्रॉली बैग नहीं ले जाएंगे

गोरखपुर। आशीष श्रीवास्तव रेल प्रशासन और रेल चालकों के बीच चल रही तनातनी खत्म...

आप बॉक्स मत दीजिए, हम ट्रॉली बैग नहीं ले जाएंगे
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 01 Nov 2021 03:32 AM
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गोरखपुर। आशीष श्रीवास्तव

रेल प्रशासन और रेल चालकों के बीच चल रही तनातनी खत्म नहीं हुई है। रेल चालकों ने दो टूक कहा है कि आप लाइन बॉक्स में मत दीजिए, हम ट्रॉली बैग नहीं ले जाएंगे। इसी तनातनी के चलते ट्रेनें बिना टूल बॉक्स के ही रवाना हो रही हैं। इन दोनों के खींचतान के चलते संरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। रेलवे के काफी दबाव के चलते चालक अपने निजी बैग में डेटोनेटर लेकर चल रहे हैं।

बीते तीन महीने से रेलवे चालक ट्रॉली बैग के खिलाफ विरोध जता रहे हैं। रेल प्रशासन लाइन बॉक्स न देने पर अड़ा है तो रेल चालक ट्रॉली बैग न लेकर चलने के अपने रुख पर कायम हैं। ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के विनय शर्मा का कहना है कि हमारा ट्रॉली बैग को लेकर विरोध चलता ही रहेगा। वह टूल बॉक्स नहीं देंगे और हम ट्रॉली बैग नहीं ले जाएंगे। दोनों की भले ही अपनी कोई मजबूरियां हों लेकिन सच्चाई ये है कि इससे पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़ा हो रहा है। सवाल यह है कि उठता है कि बिना टूल के ट्रेनों को चलाने की अनुमित कैसे मिल रही है और अगर टूल बॉक्स के बिना भी संरक्षित यात्रा हो रही है तो फिर टूल बॉक्स को ले जाने की बाध्यता ही क्यों।

सता रहा विस्फोटक का खतरा

गार्ड और लोको पायलटों को ट्रॉली बैग में आरडीएक्स की सुरक्षा का खतरा सता रहा है। उनका सवाल है कि कोहरे के दौरान ट्रेनों के संचालन में काम आने वाला यह विस्फोटक ट्रॉली बैग में लेकर कहां-कहां घूमते फिरेंगे? जबकि अभी तक जो लाइन बॉक्स चलन में है, ड्यूटी के बाद उसकी सुरक्षा रेलवे के जिम्मे रहती है। रेलवे लोको पायलट और गार्डों को लाइन बॉक्स की जगह ट्रॉली बैग दे रहा है। लोको पायलट और गार्ड इसका विरोध कर रहे हैं। गार्ड ऐसोसिएशन के सहायक मंत्री जीबीएस त्रिपाठी का कहना है कि ट्रॉली का सबसे अधिक विरोध उसी डेटोनेटर को लेकर ही है। एक बॉक्स में 10 डेटोनेटर होते हैं, जिसमें 80 ग्राम विस्फोटक होता है। ड्यूटी से घर जाते या आते वक्त बैग गिर जाए जाए या कोई छीन ले तो हमारी नौकरी तो जाएगी ही, डेटोनेटर का भी गलत हाथों में पड़कर दुरुपयोग हो सकता है। ऐसी स्थिति में हमारा जेल जाना भी तय है।

बोले संयुक्त सचिव

अभी जो लाइन बॉक्स दिया जाता है, उसे लाने और ले जाने के लिए एक कर्मचारी की ड्यूटी रहती है। गार्ड की ड्यूटी खत्म होने के बाद बॉक्स को गार्ड लॉबी में रख दिया जाता है। रेलवे अब लाइन बॉक्स को लाने-ले जाने के लिए कर्मचारी को नहीं रखना चाहता। इसीलिए चालकों और गार्डों को ट्रॉली बैग दिए जाने का दबाव बनाया जा रहा है। ऐसे में हम सभी ने ट्रॉली बैग का बहिष्कार कर दिया है। बिना टूल के ही ट्रेनें चल रही हैं।

- विनय शर्मा, संयुक्त सचिव, ऑल इंडिया रनिंग स्टाफ एसोसिएशन

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