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बाहर से आए मजदूरों के बल पर लिखी जा रही नई फैक्‍ट्री की इबारत, बनाएंगे टोमेटो केचप और नूडल्‍स  

दिल्ली,लुधियाना सहित अन्य शहरों से वापस लौटने वाले अलग-अलग हुनर के कारीगरों के भरोसे नई फैक्ट्रियों की इबारत लिखी जाने लगी है। कुटीर उद्योग चलाने वाले मोहद्दीपुर निवासी महेश कुमार लुधियाना और दिल्ली...

बाहर से आए मजदूरों के बल पर लिखी जा रही नई फैक्‍ट्री की इबारत, बनाएंगे टोमेटो केचप और नूडल्‍स  
वरिष्‍ठ संंवाददाता ,गोरखपुर Sat, 23 May 2020 08:35 PM
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दिल्ली,लुधियाना सहित अन्य शहरों से वापस लौटने वाले अलग-अलग हुनर के कारीगरों के भरोसे नई फैक्ट्रियों की इबारत लिखी जाने लगी है। कुटीर उद्योग चलाने वाले मोहद्दीपुर निवासी महेश कुमार लुधियाना और दिल्ली से वापस लौटे कारीगरों के साथ टोमेटो कैचचप, नूडल्स, चिली सास और मैक्रोनी की फैक्ट्री लगाने जा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने बरगदवा में जमीन चिन्हित कर ली है, बैंक से लोन के लिए कागजात तैयार कराने में जुट गए हैं।

कोरोना संक्रमण के खतरों के बाद बदली परिस्थितियों में बड़ी संख्या में कामगार दिल्ली, हैदराबाद, बंगलुरू, लुधियाना, सूरत, मुंबई आदि शहरों से लौटे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ऐसे कामगार भी शामिल हैं, जो लोकल से मल्टीनेशलन फैक्ट्रियों में काम करते थे। वे भले ही बेरोजगार हैं, लेकिन लौटना नहीं चाहते हैं। वह चाहते हैं कि वे काम में पारंगत हैं, उन्हीं ट्रेड में यहां काम मिले। लुधियाना से लेकर दिल्ली से आए ऐसे ही कामगार मोहद्दीपुर में कुटीर उद्योग चलाने वाले महेश कुमार के संपर्क में है। प्रशिक्षित कारीगरों के भरोसे उनकी वर्षों पुरानी योजना अब जमीन पर उतरती दिख रही है। 

श्री कुमार बताते हैं कि बरगदवा में पहले से ही जमीन चिन्हित कर रखी है। मशीन की खरीदारी पर करीब 10 लाख का खर्च है। इसके साथ ही अन्य खर्चे हैं। ऋण को लेकर बैंक के अधिकारियों से वार्ता चल रही है। एक साथ टोमेटो केचप,  नूडल्स, चिली सास और मैक्रोनी की फैक्ट्री लगाने की योजना है। इसी तरह कूड़ाघाट निवासी नवीन कुमार पुलिस का बिल्ला, टोपी, बैच और अन्य समान लुधियाना और दिल्ली से मंगाते थे। इस ट्रेड के कारीगर वापस लौट आए हैं। नवीन कहते हैं कि कई कारीगरों से संपर्क में हूं। अब स्थानीय स्तर पर ही कारीगरों के साथ कारोबार शुरू करेंगे। पूर्वांचल का पूरा मार्केट कवर करेंगे। 

यहां कम वेतन में भी कर लेंगे काम
फाजिलनगर निवासी बलदेव टोमेटो केचप के कारीगर हैं। वह कहते हैं कि लुधियाना से कुछ कम वेतन भी मिलेगा तो भी अब यहीं काम करेंगे। इसी तरह महराजगंज के सुभाष दिल्ली में नूडल्स की फैक्ट्री में काम करते थे। वह महेश कुमार के संपर्क में हैं। सुभाष का कहना है कि गोरखपुर मंडल के करीब 15 कारीगर दिल्ली में साथ काम करते थे। सभी गोरखपुर में काम करने को तैयार हैं। 

मजदूरों को लेने बिहार गई बस बैरंग लौटी
एक तरफ बड़े शहरों से लौटे मजदूर वापस नहीं लौटना चाहते हैं, वहीं गीडा की फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर भी अपने घरों से वापस नहीं लौट रहे हैं। बीते दिनों गीडा की एक फैक्ट्री मालिक ने मजदूरों को वापस बुलाने के लिए एक बस बिहार भेजी थी, लेकिन मजदूरों से आने से मना कर दिया। मजदूरों की दलील है कि जब तक स्थितियां पूरी तरह समान्य नहीं होंगी वह घर छोड़कर वापस नहीं लौटेंगे। इसके साथ ही आजमगढ़, बलिया, बिहार के जिलों में रहने वाले मजदूर आने को तैयार नहीं दिख रहे हैं। 

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