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कार्रवाई: 15 साल से हाईकोर्ट में नहीं की पैरवी, डॉक्टर समेत दो सस्पेंड

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा हाईकोर्ट में मुकदमे की पैरवी में लापरवाही मंहगी पड़ गई। मामला जिला अस्पताल का है। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट...

कार्रवाई: 15 साल से हाईकोर्ट में नहीं की पैरवी, डॉक्टर समेत दो सस्पेंड
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरThu, 13 Dec 2018 06:05 PM
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स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा हाईकोर्ट में मुकदमे की पैरवी में लापरवाही मंहगी पड़ गई। मामला जिला अस्पताल का है। इस मामले में हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य सचिव के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर दिया।

जिसके बाद शासन की नजरें अस्पताल प्रशासन पर टेंढ़ी हो गई हैं। इस मामले में शासन ने कार्रवाई करते हुए अस्पताल के डॉक्टर दुर्गेश कुमार व सीनियर क्लर्क जय प्रकाश को निलंबित कर दिया। इतना ही नहीं निलंबित डॉक्टर और एसआईसी डॉ. राजकुमार गुप्ता के खिलाफ विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज करने का फरमान जारी किया है। शासन के इस फैसले से अस्पताल में हड़कंप मच गया है। एसआईसी मामले की पैरवी के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचे हुए हैं।

वर्ष 2003 में हुई 11 पदों पर नियुक्ति

मामला वर्ष 2003 में हुई नियुक्ति का है। तत्कालीन एसआईसी डॉ. कमालुद्दीन ने चतुर्थ श्रेणी के 11 पदों पर नियुक्ति की। एसआईसी ने कर्मचारियों को तीन महीने का वेतन दे दिया। इस नियुक्ति को शासन ने वैध नहीं माना। जिसके विरोध में सभी कर्मचारी हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट से स्टे मिलने के बाद कर्मचारी अस्पताल में ही नौकरी कर रहे है।

15 साल से नहीं हुई कोई पैरवी

इस मामले में लंबे समय से खेल चल रहा है। जिला अस्पताल प्रशासन ने 15 साल तक कोई जवाब ही हाईकोर्ट में दाखिल नहीं किया। इस दरम्यान यह फाइल भी कुछ प्रभावी कर्मचारियों के सुपुर्द ही रहीं।

राज्य विधि अधिकारी के फैक्स को किया नजरअंदाज

15 साल बाद इस मामले की हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। खबर है कि हाईकोर्ट द्वारा दो नोटिस जारी करने के बावजूद जिला अस्पताल से कोई अधिकारी मामले की पैरवी करने नहीं पहुंचा। बीते 16 नवंबर को हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश देते हुए छह दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का अल्टिमेटम दिया था। 25 नवंबर को राज्य विधि अधिकारी मनोज श्रीवास्तव ने भी जिला अस्पताल प्रशासन को फैक्स भेजकर पैरवी अवश्य करने की ताकीद की।

नहीं हुई पैरवी, गैर जमानती वारंट हुआ जारी

हाईकोर्ट की नोटिस और राज्य विधि अधिकारी के फैक्स से भी अधिकारियों के कान पर जूं नहीं रेंगी। छह दिसंबर को हुई सुनवाई एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी गैर हाजिर रहे। जिसके बाद कोर्ट ने सख्त रूख अख्तियार करते हुए सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया।

जांच करेगी तीन सदस्यीय कमेटी

इसके बाद समूचे महकमे में ही हड़कंप मच गया। शासन पूरे मामले में संजीदा हो गया। पूरे मामले की जांच के लिए शासन ने महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य की अगुआई में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। इसमें अपर निदेशक प्रशासन और अपर निदेशक गोरखपुर मंडल शामिल हैं। कमेटी एक हफ्ते में जांच कर प्रमुख सचिव को रिपोर्ट प्रेषित करेगी।

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