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नीम की पत्ती में मिला डेंगू का इलाज

नीम की पत्ती में ऐसा मॉलीक्यूल मिला है, जिससे जानलेवा डेंगू को काबू किया जा सकता है। भविष्य में इसके प्रयोग से एंटी डेंगू टीके भी बनाए जा सकते हैं। यह खोज की है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय...

नीम की पत्ती में मिला डेंगू का इलाज
मिथिलेश्‍ा द्विवेदी,गोरखपुर Fri, 22 Dec 2017 05:26 PM
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नीम की पत्ती में ऐसा मॉलीक्यूल मिला है, जिससे जानलेवा डेंगू को काबू किया जा सकता है। भविष्य में इसके प्रयोग से एंटी डेंगू टीके भी बनाए जा सकते हैं। यह खोज की है दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉयोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष व शोधार्थी डॉ. विवेक धर द्विवेदी ने। कंप्यूटेशनल मेथड से शोध करने के बाद अब इस मॉलीक्यूल से वेट लैब में दवा विकसित करने के लिए एनआईवी पुणे से टाईअप करने की तैयारी है। 

-दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बॉयोटेक्नोलॉजी विभाग में प्रो. शरद कुमार मिश्रा व डॉ. विवेक धर द्विवेदी ने नीम की पत्ती में ऐसे तीन मॉलीक्यूल खोजे हैं, जो डेंगू वायरस को शुरू में ही फैलने से रोक देंगे

-इंटरनेशनल जर्नल ऑफ वेक्टर बॉर्न डिजीज में छपा शोध पत्र  

-भविष्य में एंटी डेंगू टीके भी बनाए जा सकते हैं नीम के मॉलीक्यूल्स से

-डेंगू की अब तक कोई दवा नहीं है, खून के प्लेटलेट्स बढ़ा कर निजात दिलाते हैं इस जानलेवा बीमारी से

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दोनों वैज्ञानिकों को यह शोध रिपोर्ट हाल में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ वेक्टर बॉर्न डिजीज में छपी है। वर्ष-2002 में डीआरडीओ के वैज्ञानिक एमएम परीदा ने एक शोध रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि नीम के एक्सट्रैक्ट में एंटी डेंगू व्यवहार संभव है। इस रिपोर्ट के आधार पर एक साल पहले प्रो. मिश्रा व डॉ. विवेक ने डेंगू वायरस और नीम के मॉलीक्यूल्य का अध्ययन शुरू किया।

डेंगू वायरस के कांप्लेक्स के अध्ययन में पता चला कि एनएस 2 बी एनएस 3 नामक प्रोटीएज इस वायरस की बढ़ोत्तरी के लिए जिम्मेदार है। शोध टीम ने तय किया नीम की पत्ती में वह कॉलीक्यूल खोजा जाए जो इस प्रोटीएज को चारों ओर से बांडिंग कर बढ़ने से रोक दे। लंबे अध्ययन के बाद टीम इस निष्कर्ष पर पहुंच गई कि नीम की पत्ती के नींबिन, बीफेसिटाइल निंबिन और सेलेटाइन नींबिन नामक तीन मॉलीक्यूल में इस प्रोजीएज को पूरी तरह से रोकने की क्षमता है।

यह मॉलीक्यूल्स इस तरह से बांडिंग कर देते हैं कि प्रोटीएज की ग्रोथ तत्काल रुक जाती है। प्रो. मिश्रा व डॉ. विवेक ने बताया कि इसमें नींबिन व बीफेसिटाइल नींबिन नामक मॉलीक्यूल डेंगू रोकने में पूरी तरह से कारगर पाए गए हैं। बता दें कि अब तक बाजार में डेंगू रोकने की कोई कारगर दवा नहीं है। अब तक उपलब्ध इलाज के अनुसार डेंगू के असर को खून के प्लेटलेट्स बढ़ाकर ही कम किया जाता है। नीम की पत्ती के मॉलीक्यूल्स से दवा बनाने के बाद इसका सटीक इलाज संभव होगा।      

नीम की पत्ती से डेंगू की दवा बनाने का फार्मूला कम्यूटेशनल मेथड से प्रूव हो गया है। आगे वेट लैब में इनबिस्टो व इनबीवो वैलिडेशन कराने के बाद कारगर दवा विकसित की जा सकती है। इसके लिए एनआईवी पुणे से वार्ता की जा रही है। थोड़ा समय लगेगा। अब तक का परिणाम उत्साहजनक है। यूजीसी को प्रोजेक्ट भेजा गया है। 
-प्रो. शरद कुमार मिश्रा, विभागाध्यक्ष बॉयोटेक्नोलॉजी, डीडीयू   

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