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ले डूबी पति के काम में पत्‍नी की हद से ज्यादा दखलंदाजी

पति-पत्नी का रिश्ता ऐसा है कि एक किसी ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाये तो दूसरे का सम्मान खुद ब खुद बढ़ जाता है। इसमें कोई बुराई भी नहीं। लेकिन पति-पत्नी दोनों में से कोई एक-दूसरे के कार्यालयी कामकाज में जरूरत...

ले डूबी पति के काम में पत्‍नी की हद से ज्यादा दखलंदाजी
हिन्‍दुस्‍तान टीम ,गोरखपुर Tue, 29 Aug 2017 08:06 PM
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पति-पत्नी का रिश्ता ऐसा है कि एक किसी ऊंचे ओहदे पर पहुंच जाये तो दूसरे का सम्मान खुद ब खुद बढ़ जाता है। इसमें कोई बुराई भी नहीं। लेकिन पति-पत्नी दोनों में से कोई एक-दूसरे के कार्यालयी कामकाज में जरूरत से ज्यादा दलखंदाजी करने लगे तो हश्र बीआरडी मेडिकल कालेज के निलम्बित प्राचार्य डा.राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डा.पूर्णिमा शुक्ला जैसा भी हो सकता है। 

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इस दम्पत्ति को पति के काम में पत्नी की जरूरत से ज्यादा दलखंदाजी ले डूबी। बीआरडी मेडिकल कालेज में ऑक्सीजन हादसे के पहले ही दिन से यह बात परिसर में हर शख्स की जुबां पर है। कालेज के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक रहे डा.ए.के.श्रीवास्तव ने तो सार्वजनिक रूप से इस पर सवाल भी उठाया। उनका सीधा आरोप है कि मेडिकल कालेज के प्राचार्य भले डा.राजीव मिश्र थे लेकिन असली सत्ता उनकी पत्नी डा.पूर्णिमा शुक्ला ही चलाती थीं। यहां तक कि अपने पति के आफिशियल फोन भी अटेंड करती थीं। यही नहीं वे बकायदा उनकी ओर से फोन कॉल्स के अधिकारिक जवाब भी देती थीं। मेडिकल कालेज के आंतरिक तबादलों, खरीद और अन्य प्रशासनिक कामों में उनकी दखलंदाजी खटकती तो सबको थी लेकिन विरोध करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा सका। 

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सत्ता को स्वीकार कर चुके थे लोग- 
बीआरडी मेडिकल कालेज में ‘मैडम’ की सत्ता को लोग स्वीकार कर चुके थे। प्राचार्य डा.राजीव मिश्र जब पैथालॉजी के इंचार्ज थे। तब भी ‘मैडम’ उनकी ओर से आदेश-निर्देश जारी करती रहती थीं। यह बात कालेज परिसर में सबको पता थी। लेकिन आपत्ति करने की बजाये सामान्य प्रक्रिया में लोग ‘मैडम’ के आदेश-निर्देश मानने लगे थे। बिल्कुल वैसे ही जैसे पदासीन होने के नाते उनके पति की बात मानी जाती थी। 

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आक्सीजन सप्लाई का भुगतान रोकने पर उठे सवाल-
10 और 11 अगस्त को बीआरडी मेडिकल कालेज में पैदा हुये ऑक्सीजन संकट में 33 मासूमों की जान चली जाने के बाद ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली कम्पनी का भुगतान रोके जाने के मामले में ‘मैडम’ की भूमिका पर सवाल उठे। आरोप लगे कि कमीशनखोरी बढ़ाने के चक्कर में एजेंसी का 69 लाख रुपए का भुगतान छह महीने से रोका गया था। जांच कमेटियों की रिपोर्ट में भी ऑक्सीजन सप्लाई में भ्रष्टाचार की बात सामने आई।

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इन्हीं आरोपों में प्राचार्य डा.राजीव मिश्र, उनकी पत्नी डा.पूर्णिमा शुक्ला (होम्योपैथी डाक्टर), 100 बेड इंसेफेलाइटिस वार्ड के प्रभारी डा.कफील, डा.सतीश सहित कई कर्मचारियों को निलम्बित किया गया। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद 23 अगस्त को लखनऊ के हजरतगंज थाने में निलम्बित प्राचार्य, उनकी पत्नी सहित नौ आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। 26 अगस्त को गोरखपुर के गुलरिहा थाने में रपट दर्ज हो गई। 28 अगस्त की रात में डा.कफील के घर छापा पड़ा और 29 अगस्त को डा.राजीव मिश्र और उनकी पत्नी डा.पूर्णिमा शुक्ला को कानपुर से एसटीएफ ने हिरासत में ले लिया। 
 

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