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घर-घर की बधाइयां बिछी हैं इस राह में 

गोरखपुर। हिन्‍दुस्‍तान टीम गोरखपुर का जंगल मातादीन। वर्षों से इलाके की पहचान किन्नरों की रिहाईश के तौर पर होती है। आज हम खासतौर पर इस इलाके का जिक्र कर रहे हैं क्योंकि यहां एक मिसाल कायम हुई...

घर-घर की बधाइयां बिछी हैं इस राह में 
Gorakhpur ,Gorakhpur Tue, 18 Jul 2017 12:52 AM
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गोरखपुर। हिन्‍दुस्‍तान टीम
गोरखपुर का जंगल मातादीन। वर्षों से इलाके की पहचान किन्नरों की रिहाईश के तौर पर होती है। आज हम खासतौर पर इस इलाके का जिक्र कर रहे हैं क्योंकि यहां एक मिसाल कायम हुई है। मिसाल, आपसी सहयोग से वो काम कर दिखाने की जिसे सिस्टम से कराना मुश्किल हो गया था। 

हम बात कर रहे हैं इस 120 मीटर लम्बी सीसी रोड की जिसे इस क्षेत्र के किन्नरों ने आपसी सहयोग से बनवाया है। डेढ़ दशक पहले गोरखपुर में देश की पहली किन्नर मेयर हुई थीं। आशा देवी यहां से रिकार्ड मतों से जीती थीं। जून-2013 में उनका देहान्त हो गया। आशा देवी के मेयर रहते जंगल मातादीन में विकास के कई काम हुये थे। 

लेकिन उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद नगर निगम ने अपनी आंखें ऐसी फेरीं कि किन्नरों की किसी की बात की सुनवाई करनी ही बंद कर दी। बार-बार गुहार लगाने के बाद भी अधिकारियों ने कुछ नहीं किया तो किन्नरों ने खुद ही कुछ कर दिखाने का निर्णय लिया। किन्नर रामेश्वरी के मुताबिक घर-घर बधाइयों से मिलने वाले नेग का एक हिस्सा सड़क निर्माण के लिए गुरु के पास रखा जाने लगा। एक लाख रुपए जुट गए तो सड़क का काम शुरू कराया और इतने ही रुपयों में काम पूरा भी किया। यह सड़क अपने-आप में मित्तव्ययता की निशानी भी है। नगर निगम के एक इंजीनियर ने 'हिन्दुस्तान' का कहना है कि यही सड़क यदि विभागीय ठेके से बनवाई जाती तो कम से कम चार लाख रुपए का खर्च आता। 

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