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आरटीओ को छकाते हुए तीन बार बिकी चोरी की कार

शाहपुर के मनोज सिंह एक बार फिर अपनी कार का स्वामित्व साबित करने के लिए आरटीओ के चक्कर काट रहे हैं। इस बार उनकी कार का फर्जी नंबर प्लेट लगाकर चोरी की उसी रंग की कार आजमगढ़ में बेची गई है। गंभीर बात यह...

आरटीओ को छकाते हुए तीन बार बिकी चोरी की कार
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरSun, 28 Apr 2019 12:05 PM
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शाहपुर के मनोज सिंह एक बार फिर अपनी कार का स्वामित्व साबित करने के लिए आरटीओ के चक्कर काट रहे हैं। इस बार उनकी कार का फर्जी नंबर प्लेट लगाकर चोरी की उसी रंग की कार आजमगढ़ में बेची गई है। गंभीर बात यह है कि आरटीओ गोरखपुर ने आजमगढ़ आरटीओ को उसकी एनओसी भी जारी कर दी है, जिसमें मनोज सिंह का ही पता लिखा हुआ है। मनोज सिंह की शिकायत पर दोनों आरटीओ ने उन्हें स्वामित्व साबित करने को कहा गया है। यह चौथी बार है जब इस चोरी की कार के आगे मनोज सिंह को आनी कार की असलियत साबित करनी पड़ रही है।

कार के असली मालिक को तीन साल में तीसरी बार स्वामित्व साबित करने को परेशान होना पड़ रहा

पहले गोरखपुर में तीन बार बिकी अब आजमगढ़ में बेची गई फर्जी नेमप्लेट लगी कार

रजिस्टर्ड गाड़ी असल मालिक मनोज सिंह के पास, दलाल बेच रहे फर्जी कागज

पिछली बार जांच में मनोज सिंह का स्वामित्व साबित होने के बाद भी आरटीओ ने नहीं कराई जांच, दोषी कर्मियों को दे दी मनमानी की छूट

शाहपुर के मनोज सिंह ने 2012 में एक नैनो कार टाटा फाइनेंस कंपनी से फाइनेंस कराई थी। तभी कार पंजीयन भी आरटीओ से हुआ और उन्हें यूपी 53 एवाई 7088 मिला। 75 हजार रुपये का लोन एक साल में जमा कर कार कर दिया। वर्ष 2016 में जब वह यह कार बेचने जा रहे थे तब आरटीओ से उन्हें पता चला कि कार तो उनके नाम से है ही नहीं। वह भाग कर आरटीओ कार्यालय पहुंचे। कार के कागजात देखने के बाद आरटीओ ने जांच बैठा दी। जांच के लिए गाड़ी की फाइल खोजी गई तो वह गायब हो चुकी थी। मनोज के लगातार प्रयास व लंबी भाग दौड़ के बाद बताया गया कि किसी अशोक कुमार सिंह पुत्र रमाशंकर सिंह, निवासी नहर रोड मोहद्दीपुर ने उनकी कार का नंबर चोरी की उसी रंग की कार का दिखा कर अपने नाम से पंजीकृत करा लिया था। इसके बाद अशोक ने आरटीओ में आवेदन दिया कि गाड़ी एक्सीडेंट कर गई है और उसकी इंजन व चेसिस नंबर डैमेज हो गया है। उसने दूसरे इंजन व चेसिस नंबर को अपने रजिस्ट्रेशन पेपर दर्ज करने की मांग की तो आरटीओ के भ्रष्ट कर्मचारियों ने बिना जांचे परखे यह काम भी कर दिया।

इसके बाद चोरी की यह कार आरटीओ परिसर निवासी रामप्रवेश मणि पुत्र चंद्रमौलि त्रिपाठी निवासी आरटीओ कैंपस को बेच दी गई थी। इस पर चेसिस व इंजन नंबर तो चोरी की कार का था मगर गाड़ी नंबर मनोज की गाड़ी का ही था। आरटीओ ने अशोक व रामप्रवेश को नोटिस जारी कर पक्ष रखने को बुलाया मगर कई डेट देने के बाद भी कोई नहीं आया। जांच के बाद मनोज के वैध स्वामी घोषित कर अन्य लोगों के नाम हुए ट्रांसफर के आदेश रद कर दिए गए। मनोज ने एफआईआर दर्ज कराने की मांग की तो उन्हें कहा गया कि वह खुद चाहे तो एफआईआर दर्ज करा सकते हैं। मनोज ने कैंट थाने में अशोक व चंद्रमौलि समेत आरटीओ के भ्रष्ट अज्ञात कर्मियों पर एफआईआर दर्ज करा दी। पुलिस की जांच दो साल से चल रही है मगर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।

स्टेटस चेक करने पर पता चला एक बार फिर बिक गई चोरी की कार

तीन महीने पहले जब अचानक मनोज सिंह अपनी गाड़ी का स्टेटस चेक कर रहे थे तो पता चला कि उनकी गाड़ी एक फिर बिक गई है। आजमगढ़ के आरटीओ ने कार का मड़ियाहू, आजमगढ़ निवासी अखिलेश सिंह यादव के नाम ट्रांसफर करने से पहले गोरखपुर आरटीओ से एनओसी मांगी तो यहां से जो पत्रावली भेजी गई, उसमें गाड़ी मालिक का नाम व पता मनोज सिंह, शाहपुर लिख दिया। आजमगढ़ आरटीओ ने गाड़ी ट्रांसफर भी कर दी। मनोज सिंह ने आरटीओ से मिलकर शिकायत की। आरटीओ ने एआरटीओ प्रशासन श्यामलाल को गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए। जांच के बाद पता चला कि यह वही चोरी की कार है, जो पहले गोरखपुर में बेची गई थी। इसका चेसिस व इंजन नंबर भी वही था, जिसे यहां के आरटीओ ने निरस्त कर दिया था।

एनओसी निरस्त करने को लिखा गया है-एआरटीओ प्रशासन

एआरटीओ प्रशासन श्यामलाल ने बताया कि तकनीकी गड़बड़ियों के चलते एनओसी गलत जारी हो गई थी। आजमगढ़ आरटीओ को उसे निरस्त करने के लिए लिखा गया है। टाटा फाइनेंस को भी अपना पक्ष रखने को बुलाया गया है। गड़बड़ी वहीं से हुई है। जो कार आजमगढ़ में बेची गई है, उसके में फाइनेंस कंपनी ने लिखकर दिया है कि वह कार किश्त बकाए में खिंचवा ली गई थी। आरटीओ गोरखपुर में पंजीकृत गाड़ी के असली मालिक मनोज सिंह निवासी शाहपुर हैं।

पक्ष रखने आजमगढ़ भी नहीं पहुंचा कोई

आजमगढ़ के एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि गोरचापुर आरटीओ की सूचना पर चोरी की गाड़ी लॉक कर दी गई है। अब इसकी खरीद बिक्री कभी नहीं हो पाएगी। गाड़ी अपने नाम से पंजीकृत कराने अखिलेश सिंह यादव को पक्ष रखने को बुलाया गया था मगर कोई नहीं आया। अब दूसरी नोटिस जारी की जा रही है। दोषी पर एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। पूरे मामले में गहन जांच की जरूरत है।

मैंने तीन साल पहले ही आरटीओ से मिलकर पूरे मामले में लिप्त कर्मचारियों व दलालों पर कार्रवाई की मांग की थी। जांच के बाद मुझे से वैध स्वामी मान लिया गया मगर किसी जिम्मेदार को न तो खोजा गया न ही किसी पर कार्रवाई हुई। एफआईआर कराने के बाद पुलिस भी दो साल महज खानापूरी ही कर रही है। इसकी शिकायत सभी अधिकारियों से कर चुका हूं।

मनोज सिंह, पीड़ित वाहन स्वामी

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