महिला के शव से गहने चोरी, आरोप लगाने पर गार्डों ने तीमारदारों को पीटा
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही और अमानवीयता की सारी...
गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज में लापरवाही और अमानवीयता की सारी हदें पार हो गईं। बीआरडी प्रशासन ने रिपोर्ट के इंतजार में चार दिन तक दिल की मरीज महिला को भर्ती किए रखा। रविवार को महिला की मौत हो गई। इसके साथ ही उसकी निगेटिव होने की रिपोर्ट भी मिली। इतना ही नहीं, महिला के शरीर के गहने भी कर्मचारियों ने चुरा लिए। तीमारदारों ने जब गहने मांगे तो गार्डों और कर्मचारियों ने उन्हें पीट दिया।
वाकया रविवार का है। गोला निवासी लक्ष्मीकांत शुक्ला की 72 वर्षीय पत्नी राधिका देवी को 15 अप्रैल की शाम को सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत हुई। परिजन उन्हें पहले पास के अस्पताल ले गए। जहां से डॉक्टरों ने उन्हें बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाने की सलाह दी। देर रात में परिजन उन्हें बीआरडी लेकर पहुंचे। जहां उन्हें सस्पेक्टेड कोविड मानते हुए कोविड वार्ड में भर्ती किया गया।
बीएचटी में बदला महिला का नाम
पुत्र अजय शुक्ला ने बताया कि बीआरडी में इलाज के दौरान हर कदम पर लापरवाही हुई। कर्मचारियों ने उनका बीएचटी में उनका नाम बदल कर अराधना लिख दिया। इसकी वजह से 36 घंटे तक उन्हें वार्ड में कोई उन्हें तलाश ही नहीं सका। इस चूक का पता दूसरे दिन चला। डॉक्टर यह भी नहीं बताते थे कि महिला को क्या बीमारी है और क्या इलाज कर रहे हैं।
शव के साथ सौंपी निगेटिव रिपोर्ट
महिला के पुत्र अजय शुक्ला ने बताया कि रविवार को बीआरडी मेडिकल कॉलेज से फोन कर बुलाया गया। जब वह कोविड वार्ड पहुंचे तो मां की मौत की जानकारी दी गई। रविवार को ही उनकी कोविड रिपोर्ट निगेटिव आ गई। निगेटिव होने के बावजूद कर्मचारियों ने मां के शव को कोविड मरीजों के बैग में पैक कर दे दिया।
चुरा लिए गहने, आरोप लगाने पर पीटा
उन्होंने बताया कि मां के गले की चेन, नाक की बूंदा और कान का झुमका गायब था। इस बाबत जब शव सौंपने वाले कर्मचारियों से पूछा गया तो वह हाथापाई करने लगे। उन्होंने गार्डों को बुलाकर हम पर हमला किया। सूचना पर मौके पर पुलिस भी पहुंची। हालांकि पुलिस मामले को रफा-दफा करने में जुटी रही। परिजनों ने इस मामले में बीआरडी प्रशासन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात कही है।
बोले प्राचार्य
घटना के वक्त मैं वहां मौजूद था। तीमारदारों के आरोप बेबुनियाद है। जब शव सौंपा जा रहा था। तब एक गार्ड शव के चेहरे के साथ परिजनों की फोटो बना रहा था । भविष्य में परिजन शव बदलने का आरोप ना लगाएं , इसलिए ऐसा किया जाता है। उस समय तीमारदारों ने हमला किया। गार्ड का मोबाइल मारकर तोड़ दिया। ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी पर हमला किया। ऐसे में अब वह कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए कहानी गढ़ रहे हैं।
डॉ गणेश कुमार, प्राचार्य , बीआरडी मेडिकल कॉलेज