मजबूरी-बेबसी और बीमारी से थकी नहीं, मर कर हासिल की अधिकार
साल-दो साल नहीं बल्कि पूरी उम्र अधिकार की लड़ाई लड़ी। पति ने घर से निकाल दिया लेकिन पत्नी की जिद थी कि रहेगी उसी के साथ। न्यायालय में मुकदमा की और पति के सामने ही लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर...
साल-दो साल नहीं बल्कि पूरी उम्र अधिकार की लड़ाई लड़ी। पति ने घर से निकाल दिया लेकिन पत्नी की जिद थी कि रहेगी उसी के साथ। न्यायालय में मुकदमा की और पति के सामने ही लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर बच्चों की परवरिश करती रही।
बेबसी-मजबूरी और बीमारी में जीवन गुजारती रही सिर्फ इस आस में कि उसका पति मान जाएगा। उसे अपने घर बुलाएगा। जीते जी उसकी यह इच्छा पूरी नहीं हुई लेकिन रविवार को उसकी मौत के बाद पूरा कस्बा आक्रोशित हो गया। उसका शव सड़क पर रखकर जाम लगा दी। आखिरकार उसका पति आक्रोश के आगे हार गया और पत्नी को मुखाग्नि दी। उसने अपने नाबालिग बच्चों की परवरिश का भी आश्वासन दिया।
स्वामीमान की जंग
पति ने घर से निकाल दिया था, अधिकार के लिए लड़ रही थी लड़ाई
पति के सामने लोगों के यहां चौका-बर्तन कर की बच्चों की परवरिश
मंजू के निधन के बाद भी नहीं पसीजा पति तो लोगों ने सड़क जाम की
पुलिस पहुंचने पर पति ने दी मुखाग्नि, बच्चों की परवरिश का आश्वासन
महराजगंज जिले के आजाद चौक निवासी श्रीनिवास की बेटी मंजू की शादी 24 वर्ष पहले पिपराइच वार्ड नम्बर दो निवासी नरसिंह के साथ हुई थी। दोनों को तीन संतान हुई। बेटी सोनी व ज्योति तथा बेटा सत्यम। पति-पत्नी की गृहस्थी में तनाव आ गया। नरसिंह ने मंजू को घर से निकाल दिया। मामला परिवार न्यायालय में पहुंच गया। दोनों अलग-अलग रहने लगे। मंजू अपने बच्चों के साथ कस्बे में ही रहने लगी। वह लोगों के घरों में चौका-बर्तन कर बच्चों की परवरिश करती रही। बड़ी बेटी की शादी हो गई। छोटी बेटी और बेटे को पालती पोषती रही।
गरीबी-बेबसी और बेसहारा मंजू आखिरकार बीमार पड़ गई। आर्थिक तंगी की वजह से इलाज नहीं हो सका और रविवार की भोर में उसने दम तोड़ दिया। उधर नरसिंह अपने छोटे भाई की दुकान संभालने लगा था। उसे लोगों ने मंजू के निधन की सूचना दी लेकिन उसकी दिल नहीं पसीजा। मंजू के मायके के लोग आ गए। नरसिंह को समझाना चाहे तो उसने उनके ऊपर जलेबी बनाने के लिए तैयार शीरा फेंक दिया। इस घटना से नागरिक आक्रोशित हो गए और मंजू का शव उसकी दुकान के सामने रखकर सड़क जाम कर दी। सूचना पाकर पिपराइच थानेदार मौके पर पहुंचे। उन्होंने समझाया-बुझाया। आखिरकार नरसिंह मान गया और उसने पत्नी को मुखाग्नि दी।
नाबालिग बच्चों को देगा उनका हक
अति संवेदनशील इस मामले की जानकारी पाकर थानाध्यक्ष राजनाथ सिंह अपने सहयोगियों के साथ मौके पर पहुंचे। नरसिंह को जमकर फटकार लगाई। इस बात के लिए तैयारा कराया कि वह पत्नी को मुखाग्नि देगा और बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी उठाएगा। उन्हें पिता होने का अहसास कराएगा और उनका हक भी देगा।
अधूरी रह गई पति से मिलने की आस
मरने से पहले मंजू ने पति नरसिंह से कई बार मिलने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उसकी हठ की वजह से कभी मिल नहीं सकी। उसकी यह इच्छा अधूरी रह गई।
विवाद के दिनों में महिला को लोगों ने दिलाया था पनाह
विवाद के दिनों में पांच साल से मायके में रह रही मंजू के पिपराइच आने पर मोहल्ले के लोगों ने सहयोग कर पति नरसिंह के दूसरे घर वार्ड न.-दो में पनाह दिलाई थी। वहां तभी से वह तीन बच्चों के साथ रह रही थी। लोगों के घरों में काम कर बच्चों की परवरिश कर रही थी।