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डाक्टरों-कर्मचारियों पर लगाया नवजात को बदल देने का आरोप

बीआरडी मेडिकल कालेज में नवजात को बदलने का आरोप जूनियर डॉक्टरों व कर्मचारियों पर लगा है। कुशीनगर के रहने वाले दंपत्ति ने कहा कि उन्हें दूसरे बच्चे का शव सौंप दिया गया। इसकी सूचना बीआरडी के ही एक...

डाक्टरों-कर्मचारियों पर लगाया नवजात को बदल देने का आरोप
हिन्दुस्तान संवाद,मेडिकल कालेजSun, 06 Aug 2017 06:03 PM
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बीआरडी मेडिकल कालेज में नवजात को बदलने का आरोप जूनियर डॉक्टरों व कर्मचारियों पर लगा है। कुशीनगर के रहने वाले दंपत्ति ने कहा कि उन्हें दूसरे बच्चे का शव सौंप दिया गया। इसकी सूचना बीआरडी के ही एक कर्मचारी ने दी है। कुशीनगर से शव लेकर लौटे दंपत्ति ने एनएनयू में हंगामा किया। उधर एनएनयू में तैनात रेजीडेंटों ने इसे चूक माना और दंपत्ति को जबरन कुशीनगर रवाना कर दिया।
बीआरडी मेडिकल कालेज 
गोरखपुर से कुशीनगर के बीच नवजात का शव लेकर दौड़ लगाते रहे परिवारीजन
रेजीडेंट ने फोन कर शव को दोबारा कुशीनगर से गोरखपुर मंगाया
शव लेकर बीआरडी पहुंचे परिवारीजन तब मानी गलती

कुशीनगर के पडरौना के खिरकिया निवासी श्रीनिवास की पत्नी गीता ने शनिवार के तड़के निजी नर्सिंग होम में बच्चे को जन्म दिया। नवजात ने गर्भ में गंदा पानी पी लिया। प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों ने नवजात को बीआरडी रेफर कर दिया। आनन-फानन में शनिवार को सुबह 11 बजे एनएनयू में नवजात को भर्ती कराया गया।
पहले बताया मृत फिर बताया जिंदा है
परिवारीजनों ने बताया कि रविवार को सुबह डॉक्टरों ने बताया कि नवजात की मौत हो गई। इसे नियति मानकर शव लेकर चले गए। बिलखते हुए पिता ने बताया कि बीआरडी से उनके मोबाइल नंबर पर फोन आया। फोन करने वाले ने कहा कि तुम गलत बच्चे का शव लेकर चले गए हो। वापस लौटो। हो सकता है कि तुम्हारा बच्चा जिंदा हो।
कुशीनगर से शव लेकर बीआरडी लौटे परिवारीजन
बच्चा बदलने की सूचना मिलने पर गम में डूबे परिवारीजन में नए उत्साह का संचार हुआ। एक गाड़ी रिजर्व कर परिवारीजन दोबारा बीआरडी पहुंचे। एनएनयू में परिवारीजनों पर एक बार फिर से वज्रपात हुआ। एनएनयू के डॉक्टरों ने बताया कि समझने में चूक हो गई। जिस शिशु का शव तुम्हे सौंपा गया है वह तुम्हारा ही है। यह सुनकर परिवारीजन बिलखने लगे। महिलाओं ने डॉक्टरों पर नवजात को बदलने का आरोप लगाया।  
जूनियर डॉक्टरों ने परिवारीजनों को जबरन वापस भेजा
हंगामा बढ़ता देख एनएनयू में तैनात जूनियर डॉक्टर भड़क गए। जूनियर डॉक्टरों ने परिवारीजनों को पहले समझाने की कोशिश की। परिवारीजन जब नहीं माने तो गार्डों की मदद उन्हें उसी गाड़ी में जबरन बैठा कर वापस भेज दिया जिससे वह आए थे। 

‘‘बेहद गंभीर मामला है इस मामले की जांच विभागाध्यक्ष को सौंपी है। अगर रेजीडेंट की गलती होगी तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’
डॉ. राजीव मिश्र, प्राचार्य, बीआरडी मेडिकल कालेज गोरखपुर

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