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इनसे सीखें : अंकिता मिश्रा की आंसू पोंछने की चाहत ने तय कराया आईएएस बनने का सफर

अंकिता मिश्रा बचपन से बेहद संवेदनशील हैं। हमेशा लोगों के आंसू पोछने की चाह रखती थीं। माता-पिता व भाई-बहनों ने भी उनकी इस भावना को समझा और किसी कदम पर उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका। उनके दिल में यह चाह...

इनसे सीखें : अंकिता मिश्रा की आंसू पोंछने की चाहत ने तय कराया आईएएस बनने का सफर
कार्यालय संवाददाता,गोरखपुरSat, 19 May 2018 11:42 AM
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अंकिता मिश्रा बचपन से बेहद संवेदनशील हैं। हमेशा लोगों के आंसू पोछने की चाह रखती थीं। माता-पिता व भाई-बहनों ने भी उनकी इस भावना को समझा और किसी कदम पर उन्हें ऐसा करने से नहीं रोका। उनके दिल में यह चाह इतनी गहरे पैठ गई थी कि उन्होंने आईएएस बनने का निर्णय लिया। तीन साल कठिन तैयारी के बाद 105 वीं रैंक हासिल कर ली। 

102 डिग्री बुखार में दी मेन्स परीक्षा 

आईएएस की परीक्षा पास होने के बाद गोरखपुर अपने घर आई अंकिता मिश्रा शुक्रवार की शाम को हिन्दुस्तान से बातचीत कर रही थीं। वह अपने परीक्षा के दिनों को याद करते हुए भावुक हो गईं। आईएएस बनने के सफर की शुरुआत तीन साल पहले तब हुई जब उन्होंने बीटेक कंप्यूटर साइंस के बाद अचानक आगे की पढ़ाई के लिए कैलिफोर्निया जाने का निर्णय कैंसिल कर दिया। तब वहां की यूनिवर्सिटी से छात्रवृत्ति भी मंजूर हो चुकी थी। वीजा व टिकट सब कुछ तैयार था। अचानक तभी खयाल आया कि विदेश जाकर माता पिता व घर वालों से दूर हो जाऊंगी। देश में जरूरतमंदों के आंसू पोंछने की चाह अधूरी रह जाएगी। पिता वीके मिश्रा और मां नीलम मिश्रा को बताया कि मैं आईएएस बनना चाहती हूं। जिससे मैं लोगों मदद की इच्छा पूरी कर सकती हूं। अंकिता ने मेन्स परीक्षा को याद करते हुए बताया कि परीक्षा के दिन 102 डिग्री बुखार था। पापा दवाएं, पानी आदि लेकर परीक्षा केन्द्र तक ले गए। जब तक परीक्षा समाप्त नहीं हो गई बाहर खड़े रहे। 

रिजल्ट का दिन तनाव भरा था
अंकिता ने बताया कि दिल्ली में अपने कमरे पर नीचे से रिजल्ट देखना शुरू किया। तभी सहेली ने फोन कर 105वीं रैंक की जानकारी दी। मैंने सहेली से उसके बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसका सलेक्शन नहीं हुआ। मैं अपनी सफलता भूल कर उसके बारे में सोचकर निराश हो गई। सफलता की खुशी स्वीकारने में चौबीस घंटे लग गए।   
 
इंजीनियर बनने को सेंट स्टीफेंस की पढ़ाई छोड़ दी थी
अंकिता ने 92 फीसदी के साथ इंटर की परीक्षा पास की। दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में अंग्रेजी ऑनर्स के लिए प्रवेश हो गया मगर तब लगता था कि मुझे इंजीनियरिंग करना है और बीटेक की पढ़ाई के लिए मैंने दाखिला छोड़ दिया।  बीटेक पास करने के बाद आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में काम करने के लिए कैलिफोर्निया जाने का निर्णय लिया था।

 नई तकनीकी के इस्तेमाल से करेंगे विकास 
 अंकिता कहती हैं कि प्रधानमंत्री ने देश के अति पिछड़े जिलों की सूची तैयार कराई है। इन जिलों को उन्होंने एस्पीरेशनल जिले की संज्ञा दी है। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि युवा आईएएस इन जिलों में तैनाती पाकर विकास से अछूते लोगों को मुख्य धारा से जोड़ें। वह कहती हैं कि  ऐसे जिलों में काम करने का मौका मिला तो वह नई तकनीकियों का इस्तेमाल कर बेहतर रिजल्ट देंगीं। 

भाई बहन अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ेंगे
अंकिता की छोटी बहन सौम्या एमबीबीएस सेकेंड ईयर की छात्रा हैं। छोटे भाई सिद्धांत ने अभी इंटर की परीक्षा पास की है और उसका सलेक्शन लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में हो गया है। वह बताती हैं कि उन पर या छोटे भाई बहनों पर किसी का कोई दबाव नहीं है। भाई बहनों को जो क्षेत्र चुनना है, वह स्वतंत्र हैं।

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