भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पॉलित ब्यूरो की सदस्य कामरेड सुभाषिनी अली ने कहा है कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 10 व 11 अगस्त को ऑक्सीजन की सप्लाई में गड़बड़ी थी। इस दौरान जो भी बच्चे वहां भर्ती हुए उनके परिजनों अंबू बैग देकर यह कहते हुए चलाते रहने को कहना कि पंप नहीं किया तो बच्चा मर जाएगा, इसका स्पष्ट सबूत है। सरकार को चाहिए कि वह न्यायिक आयोग का गठन कर घटना के दोषियों का पता लगाए और इस आपराधिक लापरवाही के दोषियों को सजा दे। इसके साथ ही माकापा यह भी मांग करती है कि आक्सीजन की गड़बड़ी वाले चार दिनों में मरे सभी बच्चों के परिजनों को सरकार मुआवजा दे। हादसे की जानकारी लेने व रिपोर्ट तैयार करने के बाद सुभाषिनी अली ने प्रेस क्लब सभागार में पत्रकारों को बताया कि माकपा के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को बीआरडी हादसे की शिकार शहर के बिछिया मोहल्ले के जाहिद और इसके बाद खोराबार के बेलवार गांव में गुप्ता परिवार से मुलाकात की मौत की सच्चाई जानी। जाहिद ने बताया कि उनकी पुत्री पांच साल की खुशी को 10 अगस्त की रात बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। बच्ची ठीक होने लगी मगर भोर में अचानक वह हांफने लगी तो स्टाफ ने बताया कि आक्सीजन की कमी है। बच्ची के चेहरे से पाइपलाइन की गैस हटा कर उसे एक अंबू बैग देकर दबाने को कहा गया। बताया गया कि पंप नहीं करने पर बच्ची की मौत हो सकती है। सुबह 6 बजे बच्ची की मौत हो गई। उसकी डेथ सर्टिफिकेट पर लिखा है कि दिल के दौरे व दम घुटने से मौत हुई। बच्ची को जेई का टीका भी लगा था मगर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से इसका बूस्टर डोज नहीं लगा। इस बारे में जाहिद को किसी ने बताया भी नहीं था कि साल भर के अंदर बूस्टर डोज लगना जरूरी होता है। हादसे के दूसरे शिकार गुप्ता परिवार के बच्चे की दादी इसरावती ने बताया कि बच्चे का जन्म 8 अगस्त को एक अस्पताल में हुआ था। जन्म के दूसरे दिन डॉक्टरों ने बताया कि उसे इंसेफेलाइटिस है। इसके बाद वह उसे लेकर 11 अगस्त को सुबह बीआरडी पहुंची। वहां भर्ती कराने के बाद उसे एक अंबू बैग देकर पंप करने को कहा गया। वह कुछ ही देर में थक गई और इस बारे में बताया तो मौजूद स्टाफ ने कहा कि पंप नहीं किया तो बच्चा मर जाएगा। इसके बाद बच्चे की मौत हो गई। माकपा नेता ने कहा कि दोनों घटनाओं से स्पष्ट है कि बच्चों की मौत आक्सीजन की गड़बड़ी से हुई। इससे लगता है कि 9, 10, 11 या इसके बाद 12 अगस्त तक बीआरडी में भर्ती बच्चों की मौत आक्सीजन की गड़बड़ी से हुई। यह आपराधिक लापरवाही है। मुझे नहीं लगता कि सरकारी मशीनरी इसकी सही से जांच कर पाएगी। इसके लिए न्यायिक आयोग की जरूरत है जो सही कंधों पर बच्चों की मौत की जिम्मेदारी डाल सके। ऐसे लोगों को कड़ी सजा देने का माकपा मांग करती है। प्रतिनिधिमंडल में राज्य समिति की मधु गर्ग और मालती देवी भी शामिल थीं।
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