नवरात्र 100 किलो मसूर की दाल से बन रही मां दुर्गा की प्रतिमा
शारदीय नवरात्र बुधवार से शुरू होगा। कलाकार मॉ दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गये हैं। किराना मंडी साहबगंज में इस बार मसूर की दाल से बनी मॉ दुर्गा की प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र होगी। इको...
शारदीय नवरात्र बुधवार से शुरू होगा। कलाकार मॉ दुर्गा की प्रतिमाओं को अंतिम रूप देने में जुट गये हैं। किराना मंडी साहबगंज में इस बार मसूर की दाल से बनी मॉ दुर्गा की प्रतिमा आकर्षण का केन्द्र होगी। इको फ्रैंडली मॉ दुर्गा की प्रतिमाएं वैसे तो काफी पहले से बन रही हैं, लेकिन इसबार संख्या में काफी इजाफा हुआ है। रसायनिक रंगों की तुलना में हर्बल पेंट पर कलाकार चार गुना अधिक खर्च कर रहे हैं।
-शहर में इको फ्रैंडली मॉ दुर्गा की प्रतिमाओं का बढ़ा क्रेज
-रसायनिक रंगों की तुलना में हर्बल पेंट की लागत चार गुना अधिक
किराना मंडी साहबगंज की मूर्ति मसूर के दाल से बन रही है। मॉ दुर्गा के साथ गणेश, कार्तिकेय की प्रतिमा में भी मसूर की दाल का प्रयोग किया जा रहा है। कलाकार प्रवीर विश्वास बताते हैं कि मूर्ति बनाने में करीब 100 किलो मसूर की दाल की खपत हो रही है। चूहा, बत्तख, सॉप से लेकर राक्षस तक के बनाने में मसूर की दाल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस मूर्ति में भी बांस, मिट्टी व पुआल का पूरा प्रयोग किया जाएगा जाएगा। मूर्ति के ऊपरी सतह पर मसूर की दाल लगने से प्रतिमा काफी आकर्षक दिख रही है। प्रवीर का कहना है कि लागत पूरी मूर्ति बनने के बाद ही साफ होगी।
हर्बल पेंट से बन रहीं 200 से अधिक प्रतिमाएं
शहर में मॉ दुर्गा की 960 प्रतिमाएं स्थापित हो रही है। पिछले वर्षों तक बमुश्किल 30 से 35 प्रतिमाएं हर्बल रंग से तैयार होती थीं लेकिन इस वर्ष यह आकड़ा 200 से आसपास पहुंचता दिख रहा है। रेलवे स्टेशन पर मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे प्रवीर विश्वास का कहना है कि 55 मूर्तियां हर्बल रंग से तैयार की जा रही हैं। रेलवे स्टेशन, गोरखनाथ, मेडिकल रोड, कूड़ाघाट, खोराबार, सूबा बाजार व रेती में मूर्तियां बनाने में कलाकार जी-जान से जुटे हैं।
हर्बल पेंट वाली मूर्तियों की लागत चार गुना अधिक
हर्बल पेंट की मूर्तियों की लागत काफी अधिक पड़ रही है। मूर्तिकार विरेन्द्र कुमार बताते हैं कि रसायनिक रंग की तुलना में हर्बल पेंट की कीमत चार गुना अधिक है। कलाकार प्रवीर विश्वास का कहना है कि हर्बल पेंट घर में कूट-पीसकर बनता है। इसके लिए आठ महीने पहले ही आर्डर दिया गया था। लक्ष्मी पूजा की प्रतिमाओं के लिए हर्बल पेंट का आर्डर नये सिरे से दिया जा रहा है। इस बार की दुर्गा मूर्तियां केवल बांस, मिट्टी, पुआल, रस्सी आदि से बनाई जा रही हैं। कलाकारों का कहना है कि ज्यादातर मूर्तियों में कलाकार मिट्टी से ही साड़ी, किराना, गोटा, चूड़ी, बाल, पायल, मुकुट आदि सब मिट्टी के बनाए रहे हैं। इको फ्रैंडली मूर्तियों को तैयार करने की लागत 15 हजार से 40 हजार रुपये के बीच है।