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बदहाल बिजली-3: दस साल में 3.25 अरब रुपये खर्च, नहीं सुधरी शहर की बिजली व्यवस्था

गोरखपुर। धर्मेंद्र मिश्रा सीएम के शहर में 10 साल के दौरान बिजली वितरण सिस्टम के सुधार पर 3.25 अरब रुपये खर्च होने के बावजूद अबतक बिजली आपूर्ति व्यवस्थ में सुधार नहीं हुआ। कण्ट्रोल सिस्टम से  24...

बदहाल बिजली-3: दस साल में 3.25 अरब रुपये खर्च, नहीं सुधरी शहर की बिजली व्यवस्था
Gorakhpur,GorakhpurSun, 11 Jun 2017 07:49 PM
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गोरखपुर। धर्मेंद्र मिश्रा
सीएम के शहर में 10 साल के दौरान बिजली वितरण सिस्टम के सुधार पर 3.25 अरब रुपये खर्च होने के बावजूद अबतक बिजली आपूर्ति व्यवस्थ में सुधार नहीं हुआ। कण्ट्रोल सिस्टम से  24 घण्टा बिजली आपूर्ति के बावजूद हर दिन फाल्ट हजारों शहरवासियों के हिस्से की बिजली चट कर रहा है। आए दिन जर्जर खम्भा, तार टूटने, विद्युत ओवरलोड  से केबल दगने की घटनाएं उपभोक्ताओं की सुविधा में खलल डाल रही है।
दरअसल पावर कारपोरेशन ने महानगर के विद्युत वितरण सिस्टम में सुधार के लिए साल 2007 में विजिनेस प्लान शुरू किया। साल दर साल 20 से 25 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित हुआ। अधिकारी दावा करते है कि बजट से जर्जर खम्भें और तार बदले गए। ट्रांसफार्मरों और उपकेन्द्रों की क्षमता वृद्वि की गई। बावजूद महानगर के विभिन्न क्षेत्रों में जर्जर खम्भे,ं  चौराहो पर बिजली तार का मकड़जाल के साथ ही 30 ट्रांसफार्मर ओवरलोड से हाफ रहे है। प्रदेश सरकार की योजना व्यापार विकास निधि के तहत साल 2011 से अबतक हर साल बजट आवंटित हुआ। अबतक करीब 100 करोड़ से अधिक रुपये जर्जर सिस्टम पर स्वाहा हो चुके है।
 सेवानिव़ृत सहायक अभियंता कौशल सिंह के  मुताबिक दस साल में आवंटित बजट करीब सवा तीन अरब रुपये का इस्तेमाल सही तरीके से हुआ होता तो महानगर के उपभोक्ताओं को बिजली संकट नहीं झेलना पड़ता। सूत्रों के मुताबिक अधिकारी चहेते ठेकेदारों को टेण्डर देने के बाद यह जांचने का प्रयास नहीं किए की काम हुआ या नहीं। ठेकेदार सामान कहा इस्तेमाल किए? इस पर जिम्मेदार अधिकारी चुप्पीसाध लेते है। गोरखपुर दौरे पर आए पूर्वांचल एमडी ई एससी भारती ने पत्रकार वार्ता में बिजिनेस प्लान के सवाल पर कन्नी काटते हुए कहा कि पुरानी योजनाओं पर बात नहीं की जाए तो बेहतर होगा।

88 करोड़ की स्काडा योजना डेढ़ साल में नहीं हुआ का काम
केन्द्र सरकार ने महानगर जर्जर बिजली सिस्टम में सुधार के लिए डेढ़ साल पहले स्काडा योजना के तहत 88 करोड़ रुपये आवंटित किया। पूर्वांचल निगम ने रिलायंस इलेक्ट्रिक वर्क्स को काम कराने की जिम्मेदारी सौपी। एग्रीमेंट के मुताबिक फर्म ने 80 करोड़ रुपये के उपकरणों की आपूर्ति की। फर्म ने शहर के सभी उपकेन्द्रों के पैनल और ब्रेकर बदल दिए जबकि पैनल और ब्रेकर ठीक तरह से काम कर रहे थे। अब उसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों के उपकेन्द्रों में हो रहा है। योजना के तहत 250 केवीए के 94 ट्रांसफार्मर लगाए जाने थे। 

डेढ़ साल में महज 73 ट्रांसफार्मर ही लगे
स्काडा ठेकेदार ने डेढ़ साल के दौरान 73 ट्रांसफार्मर ही लगाया। इसमें से  58 ट्रांसफार्मर ही इस्तेमाल हो रहे है। शेष ट्रांसफार्मर अबतक चालू नहीं हो सके है। फर्म को हाईटेंशन लाइन के 450 जर्जर खम्भें और एल्टी  लाइन के 1300 खम्भें बदलने थे। फर्म ने शहर के किन क्षेत्रों के जर्जर खम्भें बदले गए? यह अधिकारियों को भी नहीं पता है। ठेकेदार ने जिन क्षेत्रों में खम्भा लगाया उसपर लाइन श्िफ्टिंग का काम अबतक नहीं हो सका। जर्जर खम्ॅभों के आस-पास नए खम्भे लगे दिख रहे लेकिन लाइन अबतक क्यो नहीं शिफ्ट हो सकी है इसको लेकर जिम्मेदार चुप्पी साध लेते है। 

स्काडा के तहत हुए काम पर 119 खामिया
स्काडा ठेकेदार ने काम करने में जगह-जगह लापरवाही की है। योजना की निगरानी करने वाली फर्म फीडबैंक ने अबतक 119 तकनीकी खामिया निकाली है। मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंात को अवगत कराया है। इसके साथ ही आरएपीडीआरपी के एसई को खामियों का पुलिंदा भेजा है।

डेढ़ साल मे 4 उपकेन्द्र के जल चुके है पैनल और ब्रेकर
स्काडा योजना के तहत उपकेन्द्रों में लगे पैनल और ब्रेकर की गुणवत्ता पर समय-समय पर सवाल उठता रहा है। जिम्मेदारों के ध्यान नही देने की वजह से ठेकेदार मनमानी करता रहा। नतीजा यह हुआ कि डेढ़ साल के दौरान विश्वविद्यालय, तारामण्डल, विकासनगर और नार्मल उपकेन्द्र का ब्रेकर और पैनल जल गया। महानगरीय अधीक्षण अभियंता ई. एके सिंह ने फर्म को चेतावनी पत्र देकर सभी उपकेन्द्रों के पैनल और ब्रेकर की जांच कराने को कहा है।

10 साल में इन योजनाओं में आवंटित हुआ बजट
योजना                   आवंटित बजट
विजिनेस प्लान             200 करोड़
व्यापार विकास निधि        100 करोड़
स्काडा योजना              088 करोड़

खास-खास
आए दिन फाल्ट, जम्फर कटने और खम्भा, तार टूटने से बाधित हो रही बिजली
विद्युत ओवरलोड से आए दिन केबल ब्रस्ट होने से ट्रांसफार्मरों में लग रही आग
उपकेन्द्रों के फूंक रहे केबल बाक्स, बिजली बाधित होने से उपभोक्ताओं की सुविधा में खलल
वर्ष् 2007 से साल दर साल मिलता रहा बिजली सिस्टम में सुधार को बजट
 

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