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UP: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में सुन खुशी से उछल पड़े शिक्षामित्र, बांटी मिठाई

गोरखपुर जिले के 3319 शिक्षामित्रों के लिए मंगलवार का दिन खुशियों भरा रहा। शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनने के बाद करीब चार वर्षो से कोर्ट में चल रहे मामले का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 2.30...

UP: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में सुन खुशी से उछल पड़े शिक्षामित्र, बांटी मिठाई
Gorakhpur ,Gorakhpur Wed, 26 Jul 2017 12:51 PM
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गोरखपुर जिले के 3319 शिक्षामित्रों के लिए मंगलवार का दिन खुशियों भरा रहा। शिक्षामित्र से सहायक अध्यापक बनने के बाद करीब चार वर्षो से कोर्ट में चल रहे मामले का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दोपहर 2.30 शिक्षामित्रों के पक्ष में दिया। कोर्ट ने कहा सहायक अध्यापक बने रहने के लिए शिक्षामित्रों को टेट पास करना होगा। इसके लिए कोर्ट ने दो वर्ष के टीईटी पास करने के लिए कहा है। कोर्ट का फैसला सुनते ही शिक्षामित्रों ने मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और एक दूसरे को मिठाई खिलाई।

शिक्षामित्र बनने का सिलसिला 1999 में गोरखपुर मंडल के महराजगंज जिले से शुरु हुआ था। वर्ष 2000 में यह प्रक्रिया गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में शुरु हुई। शिक्षामित्र पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया वर्ष 2008 तक चली। इन आठ वर्षो में करीब 3600 शिक्षामित्रों की तैनाती की गई। इसमें से करीब 300 शिक्षामित्र अन्य भर्तियों के माध्यम से सहायक अध्यापक पद पर तैनात हो गए और कुछ नौकरी छोड़कर किसी अन्य विभाग में नौकरी पा गए।

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वर्ष 2010 में बसपा की सरकार ने स्नातक शिक्षामित्रों की मांग पर नियमित करने की कवायद शुरु की। इसके लिए सरकार ने दो चरणों में दो-दो वर्ष का दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से बीटीसी कराने का फैसला लिया। बसपा सरकार ने अपने ही कार्यकाल में वर्ष 2012 में पहले चरण की ट्रेनिंग शुरु करा दी। इसके बाद नई सरकार सपा की बनी। इसने भी ट्रेनिंग के क्रम को जारी रखा।

वर्ष 2014 में पहले बैच के शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग समाप्त होने के बाद अगस्त माह में इन्हें सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति किया गया। दूसरे बैच के शिक्षामित्रों की ट्रेनिंग 2015 में समाप्त हुई और 5 मई 2015 को इन्हें भी सहायक अध्यापक पद पर तैनात कर दिया गया।

इसी बीच वर्ष 2014 में एक पक्ष द्वारा समायोजन की वैधता को लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर कर दी। 12 सितम्बर 2015 में हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द कर दिया। इसके बाद शिक्षामित्र और सपा सरकार ने हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की। जहां दो वर्षों तक लगातार सुनवाई हुई। 19 मई 2017 को सुप्रीम कोर्ट में शिक्षामित्रों की सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया। 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने पास रखे सुरक्षीत फैसले को करीब 2.30 बजे शिक्षामित्रों के पक्ष में सुनाया और कहा कि जो शिक्षामित्र सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित हो चुके हैं। वह पद पर बने रहेंगे और वर्ष 2019 तक उन्हें टेट पास करना होगा। 

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