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बोले मोरारी बापू: राधा बाबा प्रेमी, महंत अवेद्यनाथ योगी

गोरखपुर में नौ दिनों से चल रही रामरस की अमृतवर्षा रविवार की दोपहर रामराज्य की स्थापना के साथ थमी। मोरारी बापू ने राम के राजतिलक और राम राज्य की स्थापना के साथ कथा को महंत अवेद्यनाथ और राधा बाबा को...

बोले मोरारी बापू: राधा बाबा प्रेमी, महंत अवेद्यनाथ योगी
गोरखपुर कार्यालय संवाददाता,गोरखपुर Sun, 13 Oct 2019 11:04 PM
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गोरखपुर में नौ दिनों से चल रही रामरस की अमृतवर्षा रविवार की दोपहर रामराज्य की स्थापना के साथ थमी। मोरारी बापू ने राम के राजतिलक और राम राज्य की स्थापना के साथ कथा को महंत अवेद्यनाथ और राधा बाबा को समर्पित करते हुए विराम दिया। 


गोरखनाथ मन्दिर व श्रीराम कथा प्रेम यज्ञ समिति के तत्वावधान में ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ महाराज की स्मृति में 5 अक्तूबर से चम्पादेवी पार्क में चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के अंतिम दिन मोरारी बापू ने कथा को विराम देने से पहले कहा कि मैं जहां भी जाता हूं तो रामकथा किसी न किसी को समर्पित करता हूं। गोरखपुर की रामकथा किसे समर्पित करूं? बापू ने कहा कि बहुत पहले मैं रतलाम में कथा कह रहा था तभी राधा बाबा ने वहां मुझसे गोरखपुर में कथा के लिए कहा था। तब राम ने नहीं चाहा था, इसलिए गोरखपुर नहीं आ पाया, लेकिन अब आया हूं। राधा बाबा प्रेमी है और महंत अवेद्यनाथ योगी हैं, इसलिए ये श्रीराम कथा मैं प्रेमी-योगी को समर्पित करता हूं। इसके बाद जय सियाराम के उद्घोष से कथा का पंडाल गूंजने लगा। इस मौके पर मोरारी बापू ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, श्रद्धालु व अन्य सभी को श्रीरामकथा के लिए धन्यवाद दिया।   मोरारी बापू ने कथा के दौरान श्रद्धालुओं को अपने हाथ से घड़ी दिखाते हुये कहा कि ये क्या है? श्रद्धालु बोले कि बापू घड़ी है। फिर बापू ने पूछा, इसे कहां पहनते हैं? श्रद्धालु बोले बापू हाथ में। तो बापू ने कहा कि घड़ी हमारे हाथ में हो सकती है लेकिन क्या ये हमारे हाथ में हो सकता है कि कल क्या होगा? फिर बापू ने ही मर्म समझाया कि हमारे हाथ में सिर्फ घड़ी है, लेकिन कल क्या होगा, यह उसी परम के हाथ में है जो सम्पूर्ण सृष्टि को संचालित करता है। 
 
सुख की जड़ है ‘राम’ 
श्रीराम कथा के आखिरी दिन मोरारी बापू ने राम भक्तों को राम नाम के प्रभाव के बारे में बताया। पूछ कि राम क्या है? फिर जवाब दिया कि राम सुख की जड़ है। राम मतलब आनन्द देने वाला... सर्व सुख साधक है हमारा राम। जो आनन्द दे, सुख दे और सबको प्रिय रगने वाला है ‘राम’। इसके बाद मोरारी बापू ने कथा को विस्तार देते हुये जीवन अवस्था के विषय में बताया। बापू ने कहा कि बाल्यावस्था सुखदाई है। बचपन में हमें चोट लगे तो हर कोई प्यार करने आता है। देखभाल करता है। इसलिए बाल्यावस्था सुखदाई है। युवावस्था पीड़ा दायी है। क्योंकि युवावस्था में व्यक्ति प्रेम करता है। वो चाहे खुद से प्रेम करे, पूरे समाज से प्रेम करे या सम्पूर्ण धरती से प्रेम करे, उसे पीड़ा ही मिलती है। अवध के लोगों को भी पीड़ा ही मिली। इसके बाद मोरारी बापू ने कहा कि वृद्धा अवस्था में पुन: प्यार, सम्मान मिलता है। तो पहले सुख फिर दुख फिर सुख। ये जीवन का क्रम है। मोरारी बापू ने कहा कि जिस व्यक्ति को ये भरोसा है कि उसका हाथ किसी परम के हाथ में है तो उसे कभी कोई तकलीफ नहीं होगी। 

अगले जन्म में कथा करूंगा, पहचान लेना
रामकथा को विराम देने से पहले मोरारी बापू ने कहा कि मुझे मोक्ष नहीं चाहिए। इस पृथ्वी पर जीवन बिताने से सुन्दर और क्या है। मेरे भारत से अच्छा क्या है। इस उत्तर प्रदेश से बेहतर जगह क्या होगी। या यह कहूं कि गोरखपुर से अच्छा क्या होगा। चम्पादेवी पार्क से अच्छा क्या होगा। या फिर ये नौ दिवसीय रामकथा से अच्छा क्या होगा। जहां हम सब राम कथा का रसपान कर रहे हैं। बापू ने कहा कि अगले जन्म में फिर कथा कहूंगा। आप सब भी होंगे। मुझे अच्छा तब लगेगा जब आप मुझे कथा कहते हुये पहचान लेंगे कि अरे! ये मोरारी बापू हैं। और मैं भी आपकों को पहचान लूं। 

यहां गाये जाने वाले गीत ‘चरित्र’ हैं
मोरारी बापू ने कहा कि वह मंच से गीत गाते हैं। भजन में रमते हैं। इसका भी मर्म उन्होंने श्रद्धालुओं को समझाया। बापू ने बताया कि जो गीत जहां से बने वो उसे चलचित्र कहते हैं लेकिन व्यास पीठ से जब वही गीत गाया जाता है तो वो चरित्र बन जाता है।  गीत, नाटक, गजल इनका जन्म कहीं भी हुआ लेकिन व्यास पीठ से गाने के बाद वो चरित्र ही होता है। उन्होंने कहा कि किसी भी गीत या बात का संन्दर्भ समझना जरूरी है। इसके बाद ‘मुझे गम भी उनका अजीज है, ये उनकी दी हुई चीज है’ शेर पेश करने के साथ ही ‘सौ बार जनम लेंगे’ गीत गुनगुनाया। 

राम विषयी नहीं
कथा के दौरान मोरारी बापू ने एक महिला की जिज्ञासा शांत की। महिला से सवाल किया कि अगर भर्तृहरि विषयी हैं तो भगवान राम ने भी मृग को मारा था, वह विषयी क्यों नहीं? इस पर बापू ने कहा कि भर्तृहरि विषयी हैं लेकिन भगवान राम विषयी नहीं हैं क्योंकि राम के बाण से जो मरे, वो मरे नहीं बल्कि तरे हैं।


रामानुजम की तीसरी आंख खुल गई थी
रामकथा के दौरान मोरारी बापू ने महान गणितज्ञ रामानुजम की भी बात की। बापू ने कहा कि महान गणितज्ञ रामानुजम हाईस्कूल में फेल हो गये थे। लेकिन गणित में उन्होंने ऐसी महानता दिखायी कि पूरी दुनिया में रामानुजम को महान माना गया। बापू ने कहा कि गणित के बड़े-बड़े सवालों पर बड़े-बड़े गणितज्ञ परेशान होते थे, सोचते थे फिर जवाब देते थे लेकिन उन्हीं सवालों के हल रामानुजम मिनट भर में हल कर देते थे। वह ये भी नहीं सोचते थे कि सही होगा या गलत। क्योंकि वो जानते थे कि ये सही ही है। बापू ने कहा कि ऐसा तभी होता है जब किसी की तीसरी आंख खुल जाये। रामानुजम की तीसरी आंख खुल चुकी थी। 

नये साल में मानस चरित्र पर करूंगा कथा
मोरारी बापू ने श्रद्धालुओं को हनुमान जयंती, दीपावली, नव वर्ष की बधाई दी और सभी को अपनी अगली कथा के विषय से परिचत कराया। बापू ने कहा कि नववर्ष की पहला कथा उत्तर काशी में होनी तय है, लेकिन आज गोरखपुर की रामकथा से तय करता हूं कि अगली रामकथा ‘मानस चरित्र’ विषय पर करूंगा। 

मानस के माध्यम से जीवन का संदेश
मोरारी बापू ने श्रीरामकथा के दौरान श्रद्धालुओं को मानस के माध्यम से जीवन बिताने का संदेश विविध प्रसंगों और कहानियों के माध्यम से दिया। बापू ने एक गुलाम और बादशाह की कहानी के माध्यम से सभी को बताया कि उस परम के हाथ में ही सब कुछ छोड़ देना चाहिए, वो जो दे वो खाओ, जब सुलाये सो जाओ, उठाये उठ जाओ, जो पहनाएं पहन लो, जीवन सफल रहेगा। इसके साथ ही बापू ने बाल कांड, अयोध्या प्रसंग, अरण्य कांड, किष्किंधा, लंका कांड, सुन्दरकांड, उत्तर कांड का रसपास श्रद्धालुओं को कराया और ‘हमरे जन सदा सिव जोगी, अज अनवद्य अकाम अभोगी’ का पाठ कर श्रीराम कथा को विराम दिया।  

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