लेफ्टिनेंट बनी गोरखपुर की बिटिया सारिया अब्बासी
शहर के रामजानकी नगर मोहल्ला निवासी सारिया अब्बासी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। 9 सितंबर को चेन्नई स्थित अकादमी की पासिंग आउट परेड में पिता डॉ. तहसीन अब्बासी व मां रेहाना शमीम ने जब उनके...
शहर के रामजानकी नगर मोहल्ला निवासी सारिया अब्बासी भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। 9 सितंबर को चेन्नई स्थित अकादमी की पासिंग आउट परेड में पिता डॉ. तहसीन अब्बासी व मां रेहाना शमीम ने जब उनके कंधों पर स्टार लगाया तो दोनों गर्व से फूले नहीं समा रहे थे।
सारिया के पिता डॉ. तहसीन आकाशवाणी गोरखपुर के कार्यक्रम प्रमुख हैं, जबकि मां रेहाना भटहट क्षेत्र के अतरौलिया स्थित जूनियर हाई स्कूल में शिक्षिका हैं। घर आई सारिया को पिता के सहकर्मियों ने बुधवार को बधाई व शुभकामना देने के लिए आकाशवाणी केन्द्र बुलाया था।
उपलब्धि
पिता डॉ.तहसीन अब्बासी आकाशवाणी में कार्यक्रम प्रमुख हैं, मां जूनियर हाईस्कूल में शिक्षिका हैं
जेनेटिक इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद नहीं लगा इंजीनियर की नौकरी में मन, सेना को बनाया कॅरियर
बातचीत में सारिया ने बताया कि सेना की वर्दी वैसे तो बचपन से भाती थी। पिता व मां के कुछ रिश्तेदार सेना में अफसर हैं। उनसे जहां भी मुलाकात होती, सेना की बहादुरी के किस्से सुनने को मिलते थे और यह सब उन्हें बहुत अच्छा लगता था। डॉ. अब्बासी ने बताया कि शहर के जीएन नेशनल अकेडमी से बारहवीं पास करने के बाद सारिया ने आईएमएस गाजियाबाद में जेनेटिक इंजीनियरिंग में प्रवेश लिया। यह उसकी अपनी इच्छा थी। पढ़ने में शुरू से होनहार थी, इसलिए हम लोगों ने कभी उस पर अपना निर्णय नहीं थोपा। बीटेक करने के बाद उसके पास अच्छी कंपनियों, यहां तक कि विदेशों से भी ऑफर थे मगर उसका मन इंजीनियर बनने में नहीं लगा।
लड़कियों के लिए थी सिर्फ 12 सीटें
अन्य काम छोड़ कर सारिया ने यूपीएससी से निकला सीडीएस का फार्म भरा और तैयारी में जुट गई। लड़कियों की सीट मात्र 12 होती है, इसलिए पहले नहीं मगर दूसरे प्रयास में सारिया को सफलता मिल गई। कई चक्रों में चला इंटरव्यू पास करने के बाद वह चेन्नई में ट्रेनिंग करने पहुंची और बेहद कड़ी मानी जाने वाली ट्रेनिंग पूरी फौलादी जज्बे के साथ ड्यूटी पर तैनात होने जा रही हैं। डॉ. अब्बासी की दो संतानों में सारिया बड़ी हैं। छोटा बेटा तमसील अहमद अब्बासी दिल्ली से बीबीए कर रहा है। बहन की सफलता से खुश तमसील ने बताया कि वह सिविल सेवा को कॅरियर बनाएंगे। बेटी की उपलब्धि पर खुश डॉ. अब्बासी ने कहा कि उन्होंने बेटी को देश की सेवा में समर्पित कर सबसे बड़ी पूंजी कमा ली है।
मै जो कुछ भी माता पिता की प्रेरणा से
सारिया के मुताबिक सेना में लड़कियों के लिए जगह भले ही कम है मगर चैलेंज स्वीकार करने वालों के लिए यह एक सुनहरा कॅरियर है। उन्होंने कहा कि आज वह जो कुछ भी हैं, उसके पीछे पिता व मां की प्रेरणा अधिक है। पिता नौकरी के चलते अलग-अलग शहरों में रहते थे और मां ने घर संभालने के साथ बच्चों की जिंदगी में सफल होने के लिए खुली छूट दी। मां होने के साथ वह सारिया के लिए एक अच्छी गुरू भी थीं। यह भी एक संयोग है कि 9 सितंबर को मां का जन्म दिन है और उसी दिन उनके कंधों पर लेफ्टिनेंट का स्टार सजा। मां ने कहा था कि बेटी ने इस साल जिंदगी का सबसे बड़ा तोहफा दे दिया है।
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