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डायरी खोलेगी आरटीओ की मिलीभगत का राज़

मधुबन होटल से पकड़े गए गिरोह के सदस्यों के पास से एसटीएफ ने डायरी और रजिस्टर बरामद किया है। इसमें आरटीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम दर्ज हैं। कई खातों का भी विवरण है। अब एसटीएफ उन नामों की...

डायरी खोलेगी आरटीओ की मिलीभगत का राज़
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरSat, 25 Jan 2020 02:14 AM
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मधुबन होटल से पकड़े गए गिरोह के सदस्यों के पास से एसटीएफ ने डायरी और रजिस्टर बरामद किया है। इसमें आरटीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम दर्ज हैं। कई खातों का भी विवरण है। अब एसटीएफ उन नामों की पुष्टि करने में जुटी है।

ये डायरी अधिकारियों-कर्मचारियों का राज़ खोलेगी कि उनके नाम गिरोह के लोगों के पास क्यों मौजूद थे, वे किस तरह गिरोह की मदद किया करते थे। एसटीएफ खातों को भी खंगालेगी कि कहीं अधिकारियों-कर्मचारियों के बैंक खातों में तो रकम ट्रांसफर नहीं की गई है। अधिकारियों के नाम का खुलासा होने पर आरटीओ में हड़कम्प मचना तय है।

अधिकारी-कर्मचारी तक महीने में पहुंचाते थे रकम : गिरोह ने एसटीएफ को बताया है कि ओवरलोड वाहन पास कराने के लिए वाहनों के हिसाब से रकम तय थी। छोटे वाहनों का अलग, बड़े वाहनों का अलग। यह रकम 2500 से 4500 तक थी। इस रकम में सबका हिस्सा तय था। अधिकारियों-कर्मचारियों से फोन के जरिए काम हो जाता था और उनकी तय रकम महीने में उनके पास पहुंचा दी जाती थी। गाड़ी मालिकों द्वारा अवैध वसूली की यह रकम मधुबन ढाबा एवं सिब्बू सिंह ढाबा पर स्वंय आकर अथवा अपने किसी कर्मचारी द्वारा पहुंचा जाता था। यह गैंग रोजाना सैकड़ों ट्रकों को पास कराता था। गिरोह की मदद आरटीओ विभाग के कुछ प्राइवेट चालकों और सिपाहियों द्वारा भी किया जाता था। इसकी पुष्टि प्रथमदृष्टया बरामद डायरी, रजिस्ट्रार, मोबाइल फोन एवं अन्य अभिलेखों व प्रपत्रों से भी हुई।

टोकन व गाड़ियों के नम्बर से होती पहचान

ओवरलोडिंग का यह खेल टोकन सिस्टम से चलता था। ओवरलोडिंग कर चलने के लिए जिन गाड़ियों को गैंग की तरफ से टोकन दिया जाता है वह गाड़ियां पूरे महीने बेधड़क होकर ओवरलोड होकर चलती हैं। उन्हें आरटीओ विभाग से जुड़ा कोई अधिकारी या कर्मचारी कहीं रोकता या टोकता नहीं है। जिन्हें टोकन जारी होता है उन गाड़ियों का नम्बर भी आरटीओ के अधिकारियों के पास होते हैं।

ट्रकों की ओवरलोडिंग से धर्मपाल ने करोड़ों की सम्पत्ति बनाई

ट्रकों सहित अन्य वाहनों की ओरवलोडिंग का टोकन बांटकर 20 साल में धर्मपाल ने अकूत सम्पत्ति बनाई। मेहरौली में पान की गुमटी से उसने अपना सफर शुरू किया और ओवरलोडिंग का उसका धंधा ऐसा चला कि वह देखते-देखते पहले मेहरौली में मधुबन ढाबा और अब होटल बना लिया। शहर में मकान सहित कई जमीन खरीदी तथा कई गाड़ियों का भी मालिक बन बैठा। उसने टोकन के धंधे को संगठित तरीके से चलाने के साथ ही आरटीओ के अधिकारियों और कर्मचारियों को महीने में उन तक रकम पहुंचाना भी शुरू किया। बिना वसूली किए ही अच्छी खासी रकम मिलने पर अधिकारी भी उसके इशारे पर काम करने लगे। वह पूर्वंचल ही नहीं, प्रदेश के कई जिलों को भी प्रभावित करने लगा। लोगों के सामने देखते-देखते उसने अकूत सम्पत्ति अर्जित की पर किसी ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया। अगर किसी ने ध्यान दिया भी तो उसने पैसे देकर उनका मुंह बंद कर दिया। अपने बेटे की शादी के बाद धर्मपाल तर्ब सुर्खियो में आया जब उसने चीयर्स गर्ल्स का डांस कराया था। इलाके के लोगों को आज भी यकीन नहीं होता है कि पान की गुमटी चलाने वाला आखिर इतने अकूत सम्पत्ति की मालिक कैसे बन गया।

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