लॉकडाउन में रिक्शे के पहिए भी थमे
लॉकडाउन में रिक्शों के पहिए भी ‘लॉक हो गए हैं। शहर में सैकड़ों रिक्शा चालकों के सामने रोजी के साथ रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। छात्रसंघ चौराहे के पास झुग्गियों में रहने वाले रिक्शा चालकों ने बताया...
लॉकडाउन में रिक्शों के पहिए भी ‘लॉक हो गए हैं। शहर में सैकड़ों रिक्शा चालकों के सामने रोजी के साथ रोटी का भी संकट खड़ा हो गया है। छात्रसंघ चौराहे के पास झुग्गियों में रहने वाले रिक्शा चालकों ने बताया कि शुक्रवार की रात उन्हें भूखे पेट ही गुजारनी पड़ी।
बिहार के मोतिहारी निवासी वीरेंद्र साहनी कुछ साल पहले गोरखपुर आए और यहां किराए पर रिक्शा लेकर चलाने लगे। गर्मी, सर्दी और बरसात चाहे जो मौसम हो वह दिनभर रिक्शा चलाते हैं। इसी कमाई से अपना पेट भरते हैं और कुछ रुपये बचाकर परिवार को भी भेजते हैं। कुछ अन्य रिक्शा चालकों के साथ छात्रसंघ चौराहे के पास झुग्गी में रहते हैं। वह साथी रिक्शा चालक के साथ मिलकर सामान खरीदते हैं। ईंट जोड़कर लकड़ी जलाते हैं और उसी पर भोजन पकाते हैं। वीरेंद्र ने बताया कि लॉकडाउन में रिक्शा निकालना संभव नहीं है। वह घर भी नहीं जा पा रहे हैं। एक तरफ कुछ कमाई नहीं हो पा रही है और दूसरी तरफ खाने-पीने के लिए न अनाज का एक दाना है और न ही खरीदने के लिए रुपये बचे हैं।
वीरेंद्र के साथ झुग्गी से निकले कुशीनगर निवासी तीरथ ने बताया कि उनके पास खेती-बारी नहीं है। परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब है। शहर में रिक्शा चलाकर ही वह गांव की गृहस्थी भी संभालते हैं। अब यहां लॉकडाउन की वजह से कमाई बंद हो गई है। मजबूरी में दिन भर झुग्गी में ही समय गुजार रहे हैं। बाहर निकलने पर पुलिस परेशान करेगी। इस डर से यहीं बैठे रहते हैं। घर जाना चाहते हैं लेकिन जा नहीं पा रहे हैं। यही कहना है कि मातीलाल का। वह भी रिक्शा चलाते हैं। लॉकडाउन की वजह से उनकी भी रोजी-रोटी का इंतजाम नहीं हो पा रहा है। यह पूछे जाने पर कि ठेलों पर तो सब्जियां बिक रही हैं। खरीद कर बनाते खाते क्यों नहीं हैं। इस सवाल पर रिक्शा चालकों ने कहा कि जब जेब में पैसा ही नहीं है तो सामान कौन देगा।
किराया भी चुकाना मुश्किल
छात्रसंघ चौराहे के किनारे खड़े एक व्यक्ति ने बताया कि वह रिक्शा चलाता है। रिक्शा भी वह किराए पर लेता है। 21 मार्च को किराए पर रिक्शा लेकर निकला था। 22 को जनता कर्फ्यू की वजह से रिक्शा जमा नहीं कर पाया। 23 से लॉकडाउन की वजह से वह रिक्शा लौटाने नहीं जा पा रहा है। एक तरफ वह कुछ कमा नहीं पा रहा है और दूसरी तरफ रिक्शा मालिक का किराया बढ़ता जा रहा है।