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अनुसंधान कार्य के मूल्यांकन का आधार है शोध प्रतिवेदन: डॉ.नमृता

-चंद्रकांति रमावती देवी आर्य महिला पीजी कॉलेज में ड्राफ्टिंग ऑफ रिसर्च विषय पर हुई कार्यशाला होते हैं। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता संवर्धन के लिए...

अनुसंधान कार्य के मूल्यांकन का आधार है शोध प्रतिवेदन: डॉ.नमृता
Newswrapहिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 13 Dec 2021 07:51 PM
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सचित्र

- चंद्रकांति रमावती देवी आर्य महिला पीजी कॉलेज में ड्राफ्टिंग ऑफ रिसर्च विषय पर हुई कार्यशाला

गोरखपुर। वरिष्ठ संवाददाता

नवीन ज्ञान का अन्वेषण, प्रसार एवं विकास ही उच्च शिक्षा के मूल उद्देश्य होते हैं। उच्च शिक्षा में गुणवत्ता संवर्धन के लिए गुणवत्ता परक मौलिक शोध कार्य होने चाहिए। शोध कार्य द्वारा ना केवल शिक्षा जगत का सैद्धांतिक पक्ष मजबूत होता है बल्कि व्यावहारिक क्षेत्र में उसके निहितार्थों का उपयोग कर व्यावहारिक समस्याओं का समाधान भी संभव होता है।

ये बातें तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय मुरादाबाद में शिक्षा शास्त्र विभाग की सहायक आचार्य डॉक्टर नमृता जैन ने कहीं। वह चंद्रकांति रमावती देवी आर्य महिला पीजी कॉलेज गोरखपुर में एमएड विभाग एवं आई क्यूएसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन वर्कशॉप में ड्राफ्टिंग ऑफ रिसर्च विषय पर आयोजित वर्चुअल कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि विचारों का संगठन एक शोध रिपोर्ट तैयार करने का सबसे मौलिक बिंदु है। डॉ.जैन ने कहा कि शोध कार्य का तब तक कोई अर्थ नहीं जब तक उसे सारगर्भित एवं श्रृंखलाबद्ध तरीके से लिपिबद्ध ना कर लिया जाए। अर्थात शोध प्रतिवेदन के रूप में उसका निरुपण करना अत्यंत आवश्यक होता है। शोध प्रतिवेदन, समस्या कथन से लेकर प्राप्त परिणामों के विश्लेषण एवं निष्कर्षों का एक लिखित विवरण होता है। यह शोधकर्ता द्वारा किए गए अनुसंधान कार्य के मूल्यांकन का आधार होता है।

कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. रेखा श्रीवास्तव ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि शोध प्रतिवेदन के मूलत: प्रारंभिक, मुख्य एवं पूरक ये तीन भाग होते हैं। प्रारंभिक भाग में शीर्षक पृष्ठ, प्रमाणपत्र, घोषणापत्र, विषय सूची, तालिका सूची एवं आकृति सूची का विवरण होता है। दूसरे दिन की कार्यशाला को संबोधित करते हुए डॉ. विजय लक्ष्मी मिश्रा ने संदर्भ सूची, फुटनोट, उद्धरण एवं परिशिष्ट लिखने की बारीकियों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। कार्यशाला के अंतिम सत्र में प्रतिभागियों ने प्रश्न पूछ कर अपनी शंकाओं का समाधान किया। कार्यशाला में कुल 240 प्रतिभागियों की सहभागिता रही। कार्यक्रम का संचालन कार्यशाला संयोजक डॉ. रेखा श्रीवास्तव ने किया। अतिथि परिचय एवं स्वागत डॉ. वीरेंद्र कुमार गुप्ता एवं श्रीमती सोनू दुबे ने किया। आभार ज्ञापन श्रीमती देवता पांडे एवं सरिता त्रिपाठी ने किया।

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