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मुकद्दस माह-ए-रमजान: माह-ए-रमज़ान में शर्बत बना दस्तरख्वान की जीनत

शिद्दत की धूप और गर्मी में अगर कोई चीज रोजेदारों को राहत दे रही है तो वह है इफ्तार के वक्त का ठंडा शर्बत। इसे पीने के बाद रोजेदारों की रूह में ताजगी और नई फुर्ती आ जा रही...

मुकद्दस माह-ए-रमजान: माह-ए-रमज़ान में शर्बत बना दस्तरख्वान की जीनत
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरMon, 21 May 2018 07:22 PM
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शिद्दत की धूप और गर्मी में अगर कोई चीज रोजेदारों को राहत दे रही है तो वह है इफ्तार के वक्त का ठंडा शर्बत। इसे पीने के बाद रोजेदारों की रूह में ताजगी और नई फुर्ती आ जा रही है।

नीबू का शर्बत, रूह अफजां शर्बत, बेल, आम का शर्बत, शिकंजी और लस्सी के जरिए रोजेदार अपनी दिन भर की प्यास बुझा रहे है। इसके अलावा खजूर, तरबूज, खरबूज, केला, आम, खीरा आदि फल रोजेदारों की पहली पसंद बने हुए है। पांचवां रोजा भी अल्लाह-अल्लाह करते गुजर गया। मस्जिद, दरगाह व घरों में रौनक है। तिलावत-ए-कुरआन पाक से रोजेदार नेकियां कमा रहे हैं।

मालिक-ए-निसाब जकात व सदका-ए-फित्र अदा कर अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे है। मस्जिदों में रात की तरावीह नमाज के अलावा पांचों वक्त की नमाजों में खूब भीड़ हो रही है। सर पर टोपी रखे रोजेदार बच्चे और नौजवान हर कहीं दिख रहे है। महिलाएं इबादत के साथ सहरी इफ्तारी और बाजार की जिम्मेदारी पूरी तत्परता से निभा रही है। हर तरफ खैर और दुआओं का दौर जारी है।

इफ्तार के वक्त तो रोजेदार रो-रो कर दुआएं मांग रहे है। खादिम हुसैन मस्जिद तिवारीपुर में हाफिज कारी अफजल बरकाती, दरगाह मुबारक खां शहीद मस्जिद नार्मल में मौलाना मकसूद आलम मिस्बाह और मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने दीन की बातें बताई। रमजान के फजायल(विशेषताएं) बयान किए।

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