दर्जनों गांवों को तबाह कर देगा इस बंधे का रेनकट-रैटहोल
बांधों के पड़ताल में जिला प्रशासन का दावा एक बार फिर हवा-हवाई निकला। 13 किलोमीटर लम्बे डोमिनगढ़-मानीराम बांध पर 200 से ज्यादा रेनकट और रैटहोल है। कई जगह से मिट्टी पूरी तरह से गायब है। बंधों की जो हालत...
बांधों के पड़ताल में जिला प्रशासन का दावा एक बार फिर हवा-हवाई निकला। 13 किलोमीटर लम्बे डोमिनगढ़-मानीराम बांध पर 200 से ज्यादा रेनकट और रैटहोल है। कई जगह से मिट्टी पूरी तरह से गायब है। बंधों की जो हालत पिछली बाढ़ में थी वही अभी भी दिख रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पिछली बार आई बाढ़ से किसी ने सबक नहीं लिया और तब से लेकर प्रमुख बंधों की खबर लेने कोई नहीं पहुंचा।
उधर, गाहासाढ़ और कोलिया बांध की भी हालत बहुत ठीक नहीं है। हालांकि 14 किलोमीटर लम्बे इस बांध पर करीब चार किलोमीटर तक बंधे की मरम्मत की गई है। कुछ दूर तक मिट्टी भराई का काम भी हुआ है लेकिन बाकी जस का तस है। यह हाल तब है जब 2017 की बाढ़ में इस बंधे के टूटने से काफी तबाही हुई थी। यह दोनों बांध आसपास के 40 गांवों की रखवाली करती है। यहां 55 हजार से अधिक आबादी रहती है।
‘हिन्दुस्तान की टीम शुक्रवार को रोहिन नदी के पास बने डोमिनगढ़-मानीराम बांध के पास पहुंची। जहां से बांध की शुरूआत हुई वहां से लेकर बांध के खत्म होने तक पूरे रास्ते में 200 से ज्यादा रेनकट और रैटहोल दिखे। कई जगह से मिट्टी ही गायब थी। ऐसे में अगर ज्यादा बारिश हो गई तो यह बांध पूरी तरह से कमजोर हो जाएगा और बाढ़ आने पर गांवों के लिए खतरनाक साबित होगा।
1995 में बना था मानीराम-डोमिनगढ़ बांध
रोहिन नदी में पानी बढ़ने पर गांवों को बचाने के लिए 1995 में 13 किलोमीटर लम्बे मानीराम-डोमिनगढ़ बांध बनाया गया था। इस बांध के किनारे डोमिनगढ़, मारीराम, मंझरिया समेत 30 गांव हैं।
2005 में बना था गाहासाढ़-कोलिया बांध
राप्ती नदी का पानी गांवों में न घुसे इसके लिए 2005 में गाहासाढ़-कोलिया बांध बनकर तैयार हुआ था। इससे सटे घुनघुनकोठा, मंझरिया, कोलिया समेत एक दर्जन गांव हैं।
1998 और 2017 में सड़क पर आ गया था पानी
1998 और 2017 में आए भीषण बाढ़ से डोमिनगढ़-पीपीगंज और गाहासाढ़-कोलिया बांध को बुरी तरह से हिला कर रख दिया था। कोलिया बांध का एक हिस्सा तो पूरी तरह से कट गया था जिसके चलते वहां के दर्जन भर गांव बाढ़ की चपेट में आ गए थे।
जिला प्रशासन ने अब तक किए यह काम
जिला प्रशासन का दावा है कि पहली बार वह ड्रोन से बंधों और नदियों का सर्वे करवा रहा है। इससे बंधों की वास्तविक स्थिति का पता चल सकेगा। इसके साथ सिचाई विभाग ने गाहासाढ़-कोलिया बांध के कुछ हिस्से पर काम कराया है। जो कि नाकाफी है।
बांध पर कोई काम नहीं
पिछली बार आई बाढ़ से सबको हिला कर दिया था। इसके बाद भी जिला प्रशासन नहीं चेत रहा है। बांध में कई जगह कट है। यहां के ग्रामीण डरे हुए हैं।
जितेन्द्र, डोमिनगढ़
हर जगह है कट, डर लगता है
कुछ दूर छोड़ बंधे पर कोई काम नहीं हुआ है। हर जगह रैटहोल दिख जाएगा। थोड़ी सी भी बारिश होती है तो मिट्टी बह जाती है। बंधे की हालत इस बार भी डर लग रहा है।
अनुज, गाहासाढ़