गोरखपुर, मुख्य संवाददाता रेलवे के लिए संजीवनी कहे जाने वाले कचव को लखनऊ-छपरा और सीतापुर-बुढ़वल रेल रूट पर लगाने की मंजूरी मिल गई है। टेंडर प्रक्रिया होने के साथ ही अन्य औपचारिकताएं भी लगभग पूरी कर ली गई हैं। अब जल्द ही इन दोनों रूट पर कचव का इंस्टालेशन शुरू कराया जाएगा।
इस सिस्टम के लग जाने से एक सेक्शन में एक ही रेल लाइन पर दो ट्रेनों के आ जाने के बाद भी टक्कर नहीं होगी। ट्रेनें 500 मीटर पहले खुद ब खुद रुक जाएंगी। रेलवे बोर्ड के निर्देश पर पूर्वोत्तर रेलवे ने कवच लगाने की कवायद शुरू कर दी है। गोरखपुर के रास्ते लखनऊ से छपरा तक 425 किमी मुख्य रेलमार्ग पर कवच लगाने के लिए औपचारिकताएं अंतिम चरण में हैं। सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह का कहना है कि सबसे पहले इन्हीं दोनों लाइनों को कवच से लैस किया जाएगा। इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बोर्ड से मंजूरी भी मिल गई है।
कवच लोको पायलटों की सभी गतिविधियों की भी निगरानी करेगा। किसी भी प्रकार की चूक होने या एक सेक्शन में दूसरी ट्रेन के आते ही ऑडियो व वीडियो के माध्यम से लोको पायलटों को अलर्ट कर देगा। लोको पायलटों की कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर चलती ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाएगा। कवच उपकरण ट्रेन को निर्धारित सेक्शन स्पीड से अधिक चलने नहीं देगा।
फॉग सेफ डिवाइस की तरह काम करेगा कवच
कवच भी ट्रेन के इंजनों में लगने वाली फॉग सेफ डिवाइस की तरह कार्य करेगा। कवच भी जीपीएस आधारित है। यह प्रणाली रेडियो फ्रीक्वेंसी तकनीक पर तैयार की गई है, जो ट्रेन के इंजनों और सिग्नल सिस्टम से जुड़ी रहेगी। यह प्रणाली आटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम के साथ मिलकर कार्य करेगी। जानकारों का कहना है कि जिन रेलमार्गों पर आटोमेटिक ब्लॉक सिग्नल सिस्टम लगेगा, उन रूटों पर कवच प्रणाली ही लगाई जाएगी।
एक हजार करोड़ के कार्य पहले से स्वीकृत
पूर्वोत्तर रेलवे के सभी प्रमुख रेलमार्गों पर ऑटोमेटिक ब्लाक सिग्नल सिस्टम लगाने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का कार्य पहले से स्वीकृत हैं। लखनऊ-गोरखपुर-छपरा, छपरा-बनारस-प्रयागराज, सीतापुर-बुढ़वल 875 रूट किमी रेलमार्ग पर सिस्टम लगाने की स्वीकृति मिल चुकी है। वर्ष 2026 तक सभी रूटों पर सिस्टम लगाने का लक्ष्य है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।