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महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ ने धर्मनिष्ठ राजनीति की प्रतिष्ठा की: प्रो.विनोद सिंह

ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ एवं महन्त अवेद्यनाथ का व्यक्तित्व ऐसे मनीषी का भव्य स्वरूप है जिसमें धर्म का साक्षात दर्शन होता है। उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नयी दिशा दी। तथाकथित धर्म निरपेक्ष...

महंत दिग्विजयनाथ और अवेद्यनाथ ने धर्मनिष्ठ राजनीति की प्रतिष्ठा की: प्रो.विनोद सिंह
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरFri, 28 Sep 2018 08:43 PM
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ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ एवं महन्त अवेद्यनाथ का व्यक्तित्व ऐसे मनीषी का भव्य स्वरूप है जिसमें धर्म का साक्षात दर्शन होता है। उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नयी दिशा दी। तथाकथित धर्म निरपेक्ष राजनीति की दूषित अवधारणा को नकारते हुए धर्मनिष्ठ राजनीति की प्रतिष्ठा की। समाजिक समरसता के मूल मंत्र से सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध अभियान छेड़कर हिन्दू समाज को एकता का पाठ पढ़ाया।

यह बातें महाराणा प्रताप पीजी कालेज जंगल धूसड़ में युगपुरूष ब्रह्मलीन महन्त दिग्विजयनाथ महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महन्त अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को सम्बोधित करते हुए डीडीयू के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग के आचार्य प्रो़ विनोद कुमार सिंह ने कही। आगे कहा कि महंत जी का व्यक्तित्व किसी निष्क्रिय समाज निरपेक्ष एकांतिक साधना करने वाले योगी का न होकर प्रखर समाजिक-राजनीतिक विचारों वाले सक्रिय प्रयोगकर्ता क्रांतिकारी का था। हिन्दू धर्म-संस्कृति की रक्षा से लेकर मनुष्यता के एक बड़े भाग के प्रति अपमानजनक अस्पृश्यता के प्रश्न तक फैला हुआ इनका जीवन-संग्राम आध्यात्म साधना और कर्म योग का विलक्षण उदाहरण है। गोरक्षपीठ द्वारा शिक्षण संस्थानों की परिकल्पना इसी कर्मयोग का एक अन्य गौरवशाली अध्याय है।

कार्यक्रम की अध्यक्षयता करते हुए भूगोल विभाग के अध्यक्ष डॉ़ विजय कुमार चौधरी ने कहा कि महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज सामाजिक समरसता के माध्यम से राष्ट्रीय एकता के सवार्मत्कृष्ट साधक के रूप में अपनी जो पहचान बनाई है वह गोरक्षपीठ द्वारा निरंतर प्रज्जवलित किया जा रहा है। अस्पृश्यता के संकट से टकराने का एक सम्मानित इतिहास और वर्तमान गोरक्षपीठ का रहा है। इसके इसी संघर्ष पूर्ण वर्तमान की वैचारिक अभिव्यक्ति भारत के उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी। विशिष्ट अतिथि डॉ. कृष्ण कुमार पाठक ने कहा कि पुण्यतिथियां पुण्यआत्माओं की ही मनायी जाती हैं। पुण्यआत्मा कोई साधारण अर्थ वाला शब्द नहीं है, यह एक मूल्यवाची शब्द है जो महन्त दिग्विजयनाथ एवं महन्त अवेद्यनाथ जैसे तेजोदिप्त, संकल्पधर्मा, स्वप्नदर्शी और लौहराष्ट्रवादी व्यक्तित्व से जुडकर अर्थ सम्पन्न बन जाता है।

कार्यक्रम की दूसरी विशिष्ट अतिथि शिप्रा सिंह ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डॉ़ आरएन सिंह, डॉ़ शिवकुमार बर्नवाल, कविता मन्ध्यान, नन्दन शर्मा, डॉ़ रामसहाय, मृत्युंजय कुमार सिंह, डॉ़ प्रज्ञेश मिश्र, मनिता सिंह, डॉ़ प्रवीन्द्र कुमार शाही, डॉ़ अभय कुमार श्रीवास्तव, डॉ़ नवनीत कुमार, डॉ़ महेन्द्र प्रताप सिंह, सुबोध मिश्र, डॉ़ सौरभ सिंह, विरेन्द्र तिवारी, मंजेश्वर सहित छात्र छात्राओं ने श्रद्धांसुमन अर्पित किये।

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