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बच्चियों से दरिंदगी : अफसरों को खुद मौके पर जाकर जुटाने होंगे साक्ष्य

मासूमों के साथ बढ़ती हैवानियत की घटनाओं पर शासन सख्त हो गया है। डीजीपी ने फरमान जारी किया है कि इन जघन्य घटनाओं पर अब न सिर्फ अफसरों को मौका-ए वारदात पर जाकर खुद भी साक्ष्य जुटाने होंगे। साथ ही...

बच्चियों से दरिंदगी : अफसरों को खुद मौके पर जाकर जुटाने होंगे साक्ष्य
हिन्दुस्तान टीम,गोरखपुरTue, 25 Jun 2019 11:51 AM
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मासूमों के साथ बढ़ती हैवानियत की घटनाओं पर शासन सख्त हो गया है। डीजीपी ने फरमान जारी किया है कि इन जघन्य घटनाओं पर अब न सिर्फ अफसरों को मौका-ए वारदात पर जाकर खुद भी साक्ष्य जुटाने होंगे। साथ ही विवेचना से लेकर सजा दिलाने तक की उन्हें निगरानी भी करनी होगी। कठोर कानून के बाद भी इस तरह की घटनाएं सामने आने पर कहीं न कहीं लापरवाही होने की मंशा पर यह निर्णय लिया गया है।

डीजीपी ओपी सिंह ने पुलिस अधिकारियों को चिट्ठी लिखकर बच्चियों के साथ हो रही इन घटनाओं पर न सिर्फ चिंता जताई है बल्कि अफसरों की लापरवाही पर भी सवाल उठाते हुए स्वयं मौका-ए वारदात पर जाकर साक्ष्य जुटाने में मदद करने और इन घटनाओं की रोकथाम के लिए विवेचना से लेकर सजा दिलाने तक प्रभावी पैरवी करने का निर्देश दिया। डीजीपी ने चिट्ठी के माध्यम से अफसरों को बताया कि ये घटनाएं समाज और न्याय के लिए भी गंभीर है। पुलिस द्वारा इसमें प्रभावी कार्रवाई बहतुत जरूरी है। इन घटनाओं से जहां पुलिस के प्रति आक्रोश होता है वहीं आम जनमानस में भय का वातावरण भी उत्पन्न होता है।

उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को लेकर मुख्यालय स्तर से पॉक्सो एक्ट, हत्या और रेप के गंभीर अपराधों की विवेचनाओं के जल्द निस्तारण के लिए परिपत्र जारी कर मॉनीटरिंग सेल की मासिक बैठक में विचार विमर्श करने का निर्देश दिया गया था। उन्होंने सवाल उठाया कि ऐसे संवेदनशील प्रकरणों पर मॉनीटरिंग सेल की बैठक में भी शायद रुचि नहीं ली जा रही है। डीजीपी ने कहा कि मॉनीटरिंग सेल हर स्तर पर इसकी निगरानी करें।

अधिकारी ये जरूर कराएं

- गुणवत्तापरक विवेचना सुनिश्चित करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी स्वयं घटनास्थल का निरीक्षण कर जल्द खुलासे का मार्गदर्शन करने के लिए घटनास्थल की वीडियो व फोटोग्राफी कराएं। वैज्ञानिक साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए फील्ड यूनिट की सहायता लें।

- इसी प्रकार हुए अपराध में ऑडियो-वीडियो साक्ष्य के रूप में मिले तो सूचना एवं प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्राविधानों के अनुसार साक्ष्यों को सुरक्षित रखें।

- 12 साल से कम उम्र के बालक और बालिकाओं से दुष्कर्म या सामूहिम दुष्कर्म अपहरण और छेड़खानी जैसी संगीन घटनाओं में आईपीसी की धाराओं के साथ ही लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) व क्रिमिनल लॉ अमेंडमेट एक्ट के अन्तर्गत प्रावधानों में दर्ज कराएं।

- पीड़ितों का 164 का बयान कराया जाए। यह बयान महिला पुलिस अधिकारी के सामने परिवार की उपस्थिति में लिया जाए।

गोरखपुर में 10 दिन में तीन घटनाओं से सनसनी

हाल के दस दिनों में गोरखपुर जिले में बच्चियों के साथ रेप की तीन घटनाओं ने मानवता को शर्मसार किया है। सिकरीगंज की एक घटना में सात साल की बच्ची के साथ रेप के बाद 57 साल के व्यक्ति ने गला घोंट कर हत्या कर दी। उसी इलाके में रिश्तेदारी में आए व्यक्ति ने आठ साल की बच्ची के साथ रेप किया। बच्ची की चीख से परिवार के लोग जाग न जाए इसके लिए उसके मुंह के कपड़ा ठूस दिया तथा हाथ-पैर बांध दिया। रेप करने वाला आरोपी स्वयं बच्चियों का पिता है। वहीं चिलुआताल थाना क्षेत्र में दस साल की बच्ची के साथ एक ड्राइवर ने रेप किया। बच्ची अभी मेडिकल कॉलेज में भर्ती है।

कोट

बच्चियों के साथ हो रही घटनाओं पर परिक्षेत्र के चारों जिलों के पुलिस कप्तानों को गंभीरता से लेने को कहा है। सभी घटनाओं पर अफसर मौके पर जाएंगे, इस तरह की कृत्य करने वाले को हर-हाल में सजा दिलाना पुलिस का एक मात्र लक्ष्य होगा।

जय नारायन सिंह, आईजी

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